Thursday, November 21, 2024
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ना पेट्रोल, ना डीजल और ना ही CNG… क्या अब पानी से चलेगी कार? जापान ने चलाकर दिखा दिया

ऐसा क्या होगा कि भविष्य में कार बनाने के लिए ना तो पेट्रोल की जरूरत होगी और ना ही डीजल की और ना सी सिग्नेचर की बल्कि ये कार उस जीवांश से, जिसे पानी कहा जाता है। जापान समेत कई देशों में लोगों ने ऐसी ही सिलाई मशीन बनाने का दावा किया है। हालांकि दावे के बाद भी ऐसी कार अभी बाजार में नहीं आ पाई है। टेक्नोलॉजी लेवल पर अगर लोगों का दावा सही हो गया तो पानी से चलने वाली कार दुनिया की सबसे बड़ी गेम चेंजर कार हो जाएगी। कुछ साल पहले तक तय हुआ तो रेल गाड़ी को पानी की गति से चलाने वाली गाड़ी ही तो खींचते थे।

पिछले दिनों इजराइल और इजराइल के संयुक्त निगम ने भी पानी से चलने वाली कार बनाने की घोषणा की थी, जो इजराइली तकनीक पर आधारित होगी। वैसे अब तक कई कंपनियों ने पानी से चलने वाली कार की तकनीक इजाद कर लेने का दावा किया है लेकिन इसकी तकनीक में अभी भी कई बाधाएं हैं।

पानी से चलने वाली कार बनाने का दावा

साल 2002 में जेनेसिस वर्ल्ड एनर्जी ने घोषणा की थी कि वह एक ऐसी गाड़ी तैयार करती है जो कि मसाले और ऑक्सीजन को अलग करके बनाती है और फिर उसे पानी के रूप में पुनर्संयोजित करके ऊर्जा प्राप्त करती है। कंपनी ने अपने ग्राहकों से 25 लाख डॉलर भी मांगे लेकिन ये कार तो सड़क पर नहीं उतरी।

जापानी कंपनी का दावा

वर्ष 2008 में एक जापानी कंपनी जेनपेक्स ने दावा किया कि उनकी गाड़ी केवल पानी और हवा में चलने योग्य है। हालाँकि यह कार काफी काम की है।

क्या होता है जीवाश्म ईंधन 
अब तक आम तौर पर पेट्रोल, डीजल और गैस से ऑटोमोबाइल पर चलती हैं। उदाहरण के लिए जीवाश्म भी कहा जाता है. जलीय कोयला कार्बन से बने होते हैं। सिलिकॉन कार्बन परमाणु में अधिकांश कार्बन और परमाणु परमाणु पाए जाते हैं। इनके साथ ही ऑक्सीजन जैसे कुछ अन्य तत्व भी मौजूद रहते हैं। हां ये जरूर है कि ये सभी रासायनिक वायु प्रदूषण को तो मित्रवत् के बाद भी बढ़ाया जाता है।

कैसे जीवाश्म ईंधन से पैदा होती है ऊर्जा

पेट्रोल और डीजल ही नहीं बल्कि लकड़ी, कोयला, कागज़ आदि में हाइड्रोकार्बन होते हैं। विभिन्न परमाणु ऊर्जा में परिवर्तन किया जाता है। जब आप हवा में हाइड्रोजनकार्बन जलाते हैं, तो उसके अणु टूट जाते हैं। ये फिर ऑक्सीजन के साथ मिलकर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस और पानी (H2O) टूटते हैं। इस क्रिया के प्लांट और जुड़ाव से जो ऊर्जा मुक्त होती है, वो गर्मी के रूप में बाहर निकलती है। ज्वलन (दहन) कहा जाता है। इससे काफी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।

कब पहली बार ऊर्जा के रूप को इंसान ने जाना

हजारों-लाखों वर्षों से हाइड्रोकार्बन के उपयोग से ऊर्जा तैयार की है। पहली बार ये टैब तब पैदा हुआ जब इंसानी आग का इस्तेमाल किया गया। यंत्रों को बनाने के लिए यह कहा जाता है कि यह ऊर्जा ताप के रूप में नहीं बल्कि ऐसे रूप में पैदा होती है, जिससे यंत्रों को तैयार किया जा सके। गैसोलीन में पेट्रोल या डीजल की ज्वलन प्रक्रिया बैंड कनेस्टर यानि इंजन में होती है। ये इंजन अपना काम इस तरह करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है.

क्या पानी को ईंधन की तरह जलाया जा सकता
वहीं पानी को ईंधन की तरह जलाया नहीं जा सकता. दरअसल पानी की कोई रासायनिक प्रक्रिया नहीं है, जिसकी मदद से पानी को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाए. अलबत्ता पानी जब गरम भाप में बदलता है तो जरूर ऊर्जा पैदा करता है लेकिन इस ऊर्जा के लिए पानी गरम करने के लिए भी कोयले या दूसरे ईंधन की जरूरत होती है, लिहाजा इस प्रक्रिया से कारें चलेंगी तो जरूर लेकिन उन्हें आकार में बड़ा करना होगा.

तो फिर स्टीम इंजन कैसे चलते थे
ये बात सही है कि भाप का इंजन स्टीम यानि भाप की ताकत के जरिए चलता था लेकिन उसमें बड़े पैमाने पर लगातार कोयला डालना होता था. इसी कारण इस तकनीक की जगह फिर बिजली या डीजल के इंजनों ने ली.

कब पानी से पैदा होती है ऊर्जा
जब पानी बहुत ताकत से गिराया जाता है तो ऊर्जा पैदा होती है, जिसका इस्तेमाल पनबिजली संयंत्रों या बांध में किया जाता है. बड़े-बड़े बांधों में काफी ऊंचाई से पानी टरबाइन पर गिराया जाता है. टरबाइन घूमने से बिजली उत्पन्न होती है. लेकिन गाड़ी में ऐसी ऊंचाई कहां से लाई जाए, ऐसा करना मुश्किल होगा. शायद वैज्ञानिक इसके लिए किसी नई तकनीक की खोज में हैं और दिमाग लड़ा रहे हैं.

पानी से चलने वाली गाड़ी में खतरा भी होगा
मान लीजिए आपको पानी से चलने वाली गाड़ी बनानी है तो सबसे पहले आपको एक ऐसे उपकरण की जरूरत होगी, जो पानी के अणुओं को तोड़ सके और ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन को अलग कर सके. दोनों गैस को अलग-अलग टैंक में रखना होगा. इसके बाद उनके लिए दहन प्रणाली की जरूरत होगी, जिससे दोनों को जलाया जा सका.

शायद ये प्रक्रिया ज्यादा कारगर नहीं होगी बल्कि हाइड्रोजन के चलते अगर कहीं दो गाड़ियों की मामूली टक्कर भी हो गई तो बड़ा विस्फोट हो सकता है. तो उम्मीद की जानी चाहिए विज्ञान कुछ सालों में ऐसी कार जरूर बना लेगा जो पानी से चल सकेगी

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