अक्सर कुछ लोगों की ये ताना मारने की आदत होती है कि क्या बच्चों जैसी बात कर रहे हो, साइंस ये कहती है कि आमतौर पर युवावय तक आईक्यू यानि बुद्धिमानी काफी जबरदस्त होती है, ज्यादा उम्र में इसकी शार्पनेस कम होने लगती है.
- 20 साल की उम्र में ब्रेन बहुत तेज गति से प्रोसेस करता है
- 25 साल की उम्र में ब्रेन मेमोरी पीक पर होती है
- 60 साल के आसपास व्यावहारिक बुद्धि बेहतर होने लगती है
हम सभी लोगों को लगता है बच्चों में बुद्धि की क्षमता वैसी नहीं होती, जैसी वो समय के साथ विकसित करते हैं. ये भी माना जाता है कि परिपक्व लोगों की बुद्धिमत्ता आमतौर युवाओं से ज्यादा होती है लेकिन दुनियाभर में आईक्यू यानि इंटैलिजेंस कोशेंट यानि मोटे तौर पर बुद्धिलब्धि या बुद्धिमानी. वैसे तो दुनिया के तमाम शोध कहते हैं कि आईक्यू युवावय से लेकर वृद्धावस्था तक एक जैसा होता है लेकिन कई मामलों में उम्र बढ़ने के साथ आईक्यू स्पष्ट तौर पर गिरने लगता है.
परप्लेक्सिटी एआई के विश्लेषण के अनुसार, IQ 18-20 वर्ष की आयु तक लगभग 80% तक पहुंच जाता है लेकिन इसके बाद ये घटने लगता है. दरअसल चलित बुद्धि 20-24 साल की उम्र में चरम पर होती है, ये वो उम्र होती है जब नई समस्याओं को हल करना और तर्क करना शामिल है. फिर ये धीरे-धीरे कम हो जाती है. 40 और 50 के दशक वाली उम्र में इसमें तेजी से गिरावट शुरू होती है. 75+ उम्र तक इसमें खासी कमी आने लगती है.
25 साल की उम्र में ब्रेन सबसे ज्यादा तेजी से काम करता है
शोध कहते हैं कि जब हम उम्र के दूसरे दशक के बीच में होते हैं यानि करीब 25 साल के आसपास के होते हैं तब हम तेजी से समस्याओं को हल कर पाते हैं, समझ पाते हैं, जानकारी को तेजी से प्रोसेस कर पाते हैं. फिर उम्र के साथ धीरे-धीरे कम हो जाती है. फिर हमारे दिमाग की प्रोसेसिंग धीमी होती जाती है. एक्टिव मेमोरी, जिसमें किसी कार्य को पूरा करने के लिए जानकारी को ध्यान में रखना शामिल होता है, वो भी उम्र के साथ कम होने लगती है.
60 की उम्र के बाद व्यावहारिक बुद्धि क्षमता में बढोत्तरी हो जाती है
हां, व्यवहारिक बुद्धि, जो संचित ज्ञान और शब्दावली को दर्शाती है, वो 60 की उम्र के बाद बढ़ जाती है या उसमें और सुधार होने लगता है. हां, एक्टिव मेमोरी में जरूर तब गिरावट देखी जाती है जब लोग बूढ़े होने लगते हैं. हालांकि शब्दावली और सामान्य ज्ञान जैसी अन्य क्षमताएं उम्र के साथ बनी रहती हैं या उनमें सुधार भी होता है.
याद रखने की क्षमता 22 साल की उम्र में सबसे ज्यादा
खोज परिणाम और शोध ये भी कहते हैं कि ऐसी कोई एक उम्र नहीं जब समग्र बुद्धिमत्ता चरम पर होती हो, इसके उलट बुद्धि के अलग अलग पहलू अलग उम्र पर चरम पर होते हैं.
– दिमागी प्रोसेसिंग की स्पीड 18-20 वर्ष की आयु के आसपास चरम पर होती है.
– नए नाम सीखने और याद रखने की क्षमता 22 साल की उम्र के आसपास चरम पर होती है.
– चेहरे की पहचान करने की क्षमता 32 वर्ष की उम्र के आसपास चरम पर होती है.
– इमोशनल फीलिंग के बारे में जानना 48 वर्ष की उम्र के आसपास चरम पर होता है.
– बुनियादी अंकगणित और नई जानकारी सीखना/समझना 50 की उम्र के आसपास चरम पर होता है.
– शब्दावली और सघन बुद्धि (संचित ज्ञान) 60 के दशक के अंत या 70 के दशक की शुरुआत में चरम पर होती है.
मुख्य बात ये है कि शायद ऐसी कोई उम्र नहीं होती जबकि ब्रेन के ज्यादातर पहलुओं पर कोई पीक पर होता है. अधिकतम बुद्धिमत्ता और उसकी अलग तरह की क्षमताएं अलग उम्र के आसपास चरम पर होती हैं.
जब बड़े होते हैं तो ब्रेन ज्यादा बेहतर तरीके से काम करने लगता है
कुछ शोध ये भी कहते हैं कि किसी व्यक्ति के आईक्यू स्तर और उसकी उम्र के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता. मस्तिष्क उम्र बढ़ने के साथ नई चुनौतियों के अनुकूल ढलने में सक्षम होता है.खोज परिणाम बताते हैं कि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं मस्तिष्क कुछ खास तरीकों से बेहतर काम करता है, विशेष रूप से निर्णय लेने और ध्यान केंद्रित करने और गैर जरूरी बातों को अनदेखा करने की क्षमता को लेकर.
अमेरिकी की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की साइट कहती है कि ज्यादा उम्र बढ़ने पर हम चीजें भूलने भी लगते हैं. ब्रेन की मेमोरी क्षमता पर असर पड़ने लगता है.
वृद्धों किसी तथ्य को याद रखने या कोई नया कौशल सीखने में अधिक समय लगता है. 70 साल से ज्यादा उम्र बढ़ने पर अक्सर मनोभ्रंश का जोखिम भी बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए, 65 वर्ष की आयु के बाद अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग हर 5 साल में दोगुनी हो जाती है.