What Food Did Ancient India Eat: 900 साल पहले लोग वेज और नॉनवेज दोनों खाया करते थे. नॉनवेज में कुछ ऐसी चीजें खाते थे, जो शायद आज के हिसाब से अटपटी लगें. हालांकि तमाम जगहों पर अब भी इन्हें खाया जाता है.
मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ खानपान की आदतें भी विकसित होती गईं. खाने की प्लेट से कुछ चीजें गायब हो गईं, तो कुछ नई चीजों को जगह भी मिली. क्या आपने कभी सोचा है कि सदियों पहले हमारे पूर्वज क्या खाया करते थे? महादेव एन. जोशी और बीएस हेब्बाली की किताब ‘मनसोल्लासा एंड आयुर्वेदा’ से साल 1127 में भारत में खानपान की विस्तार से जानकारी मिलती है.
900 साल पुराना इतिहास
किताब की कहानी साल 1127 से शुरू होती है. उस वक्त कर्नाटक के ‘कल्याणा’ में सोमेश्वरा (तृतीय) राजा हुआ करते थे. वह साल 1139 तक गद्दी पर रहे. उनका शासनकाल बहुत शांति भरा रहा. सोमेश्वरा (तृतीय) ने अपने जीवन का ज्यादातर समय उस दौर की जीवन शैली को एनसाइक्लोपीडिया के रूप में तैयार करने में लगाया. बाद में महादेव एन. जोशी और बीएस हेब्बाली ने इस एनसाइक्लोपीडिया को सिस्टमैटिक रूप से एक किताब के रूप में पेश किया.
कौन सा खाना खाते थे लोग?
इस किताब में कुल 5 चैप्टर हैं, जो अल-अलग विषयों पर आधारित हैं. किताब में सिर्फ खानपान की जानकारी नहीं है बल्कि उस वक्त की जीवन शैली, संगीत, मनोरंजन, खेलकूद और लोगों के रहन-सहन, सेहत की देखभाल, आयुर्वेद के बारे में भी विस्तार से लिखा गया है. ‘मनसोल्लासा एंड आयुर्वेदा’ के खानपान वाले चैप्टर में उस वक्त खाई जाने वाली चीजों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. तब वेज और नॉनवेज दोनों प्रचलित थे.
नॉनवेजिटेरियन क्या खाते थे?
नॉनवेज की बात करें तो भुने हुए चूहे, भुने हुए कछुए जैसी चीजें लोग बड़े चाव से खाते थे. किताब में मछलियों की 35 प्रजातियों का जिक्र और उनसे बनने वाली डिशेज के बारे में भी बताया गया है. किताब में यह भी भी बताया गया है कि मछलियों को क्या खिलाना चाहिए, ताकि वो और स्वादिष्ट बनें. नॉनवेज में कीमा, भेड़ के खून से तैयार पुडिंग भी मजे से खाई जाती थी.
वेजिटेरियन क्या पसंद करते थे?
वेजिटेरियन की बात करें तो दालें लोगों की पसंदीदा थीं. डोसा जैसा पकवान, दही से बनने वाले आइटम, दाल वाली पूरी भी खाया करते थे. उस वक्त मंडक भी खूब प्रचलित था, जिसे अब हम पराठा कहते हैं. किताब में यह भी बताया गया है कि तब के लोग फल भी खाया करते थे. किताब में कम से कम 40 तरह के फल का जिक्र है. उस वक्त के लोग सलाद भी खाया करते थे. कच्चा आम, करेला, केला जैसी चीजों के ऊपर तिल और काली सरसों की ड्रेसिंग का इस्तेमाल करते थे.
मिठाई में क्या चलन में था?
उस वक्त खाने के बाद एक ड्रिंक खूब पसंद की जाती थी, जिसका नाम था ‘पनाका’. इसे तमाम तरह के फलों को दही में मिलाकर तैयार किया जाता था. स्मूदी जैसा लगता था. उस वक्त मिठाइयों में गेहूं से बनी मीठी पूड़ी, चावल के आटे से बना पंटुआ जैसी चीजें खाई जाती थीं. काले चने के आटे से बना केक भी खूब प्रचलित था. इन सब चीजों के अलावा लोग दाल से बने स्नैक्स भी चाव खाते थे.