सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़) के राष्ट्रपति पद के 9 जजों की बेंच ने कहा कि खनिजों पर लीज वाली रॉयल कोटी पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता। बेंच ने 8:1 के बहुमत से अपने फैसले में कहा कि खनिज पदार्थ पर टैक्स लगाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका के शक्ति के पास है और इसपर दी जाने वाली रॉयल्टी पर कोई टैक्स नहीं है। 9 जजों की बेंच में जस्टिस बीवी नागात्ना (जस्टिस बी.वी. नागरत्ना) इकलौती जज वाल,आस्थावान ने अलग फैसला दिया। जस्टिस नागात्ना ने 193 पेज के अपने जजमेंट में कहा कि खनिज पदार्थों पर दी जाने वाली रॉयल्टी टैक्स के बारे में है। अगर राज्य को खनिज पदार्थ पर कर वसूली की छूट दे दी जाए तो इससे राजस्व वसूली की होड़ मच जाएगी।
यूक्रेन, कई रियासतों और विश्वविद्यालयों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कुल 86 याचिकाएं रखी गईं। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने यह तय किया था कि खनिज पदार्थों की रॉयल्टी और खनन पर कर लगाने का अधिकार राज्यों के पास होना चाहिए या नहीं। इस मामले में अंतिम निर्णय देने वाली जस्टिस बीवी नागात्ना ने पहले भी कई मामलों में डिसेंटिंग जजमेंट दे दिए हैं। जस्टिस नागात्ना के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऑफ इंडिया बनने की कतार में भी हैं। आइये इनके बारे में और जानते हैं…
जस्टिस बीवी नागरत्ना कौन हैं?
जस्टिस बीवी नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को बैंगलोर में हुआ था। उन्होंने 1984 में दिल्ली विश्वविद्यालय के जीसस एंड मैरी कॉलेज से बीए ऑनर्स (इतिहास) की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में एलएलबी में एडमिशन लिया। 1987 में एलएलबी पूरी करने के बाद उन्होंने बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने 1987 से 1994 तक KESVY & Co के साथ काम किया। 1994 में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की।
वे पहली बार कब जज बनीं?
जस्टिस नागरत्ना 2008 में पहली बार कर्नाटक हाई कोर्ट की जज बनीं। 18 फरवरी 2008 को उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किया गया। इसके बाद 17 फरवरी 2010 को उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया। जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक न्यायिक अकादमी की अध्यक्ष और बैंगलोर मध्यस्थता केंद्र की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
भारत की पहली महिला CJI होंगी
जस्टिस बीवी नागरत्ना को 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। वह भारत की मुख्य न्यायाधीश यानी CJI बनने की कतार में भी हैं। जस्टिस नागरत्ना भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। हालांकि, उनका कार्यकाल केवल 36 दिनों का होगा। वह 24 सितंबर 2027 को CJI बनेंगी और 29 अक्टूबर 2027 तक इस पद पर रहेंगी।
उन्होंने पहले किन मामलों में असहमति वाला फैसला दिया है?
जस्टिस नागरत्ना को प्रशासनिक कानून, संवैधानिक कानून, वाणिज्यिक कानून और पारिवारिक कानून जैसे मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। स्कोबसर्वर की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस नागरत्ना अब तक 366 से अधिक बेंचों का हिस्सा रही हैं और 53 से अधिक फैसले दे चुकी हैं। जस्टिस नागरत्ना ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका में भी असहमति वाला फैसला दिया था।
उन्होंने नोटबंदी से असहमति जताई थी। इसके अलावा उन्होंने आजम खान से जुड़े अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मामले में भी अलग से फैसला सुनाया था। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में जस्टिस नागरत्ना ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि अगर लोक सेवकों के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं तो उस आधार पर उन्हें रिश्वतखोरी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।