Friday, November 22, 2024
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एक चोर मशहूर लेखक के घर चोरी करने गया, बाद में उसे पछतावा हुआ और उसने सामान वापस कर दिया

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक चोर ने चोरी किया हुआ सामान वापस कर दिया। दरअसल, चोरी के बाद चोर को एहसास हुआ कि उसने एक मशहूर मराठी कवि के घर से चोरी की है। इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने चोरी किया हुआ सामान वापस कर दिया।

मुंबई: रायगढ़ जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक चोर ने चोरी करने के बाद चोरी का सामान वापस कर दिया है। दरअसल, चोर को उस समय पछतावा हुआ जब उसे पता चला कि उसने एक मशहूर मराठी लेखिका के घर से कीमती सामान चुराया है। इसके बाद चोर ने पश्चाताप करते हुए चोरी का सामान वापस कर दिया। पुलिस ने मंगलवार को इस घटना की जानकारी दी।

नारायण सुर्वे मराठी लेखक थे

पुलिस ने बताया कि रायगढ़ जिले के नेरल में स्थित नारायण सुर्वे के घर से चोर ने एलईडी टीवी समेत कीमती सामान चुरा लिया। मुंबई में जन्मे सुर्वे मराठी के मशहूर कवि और समाजसेवी थे। अपनी कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्षों को बखूबी दर्शाने वाले सुर्वे का 16 अगस्त 2010 को 84 साल की उम्र में निधन हो गया। सुर्वे की बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे अब इसी घर में रहते हैं। वे अपने बेटे से मिलने विरार गए थे और उनका घर 10 दिनों से बंद था।

कई दिनों से घर खाली था

कई दिनों से घर बंद देखकर चोर घर में घुस गया और एलईडी टीवी समेत कुछ सामान चुरा लिया। अगले दिन जब वह कुछ और सामान चुराने आया तो उसने एक कमरे में सुर्वे की तस्वीर और उन्हें मिले सम्मान को देखा। चोर को बहुत पछतावा हुआ। पश्चाताप में उसने चोरी किया हुआ सामान वापस कर दिया। इतना ही नहीं, उसने दीवार पर एक छोटा सा ‘नोट’ चिपका दिया, जिसमें उसने महान साहित्यकार के घर से चोरी करने के लिए मालिक से माफ़ी मांगी। नेरल पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर शिवाजी धावले ने बताया कि सुजाता और उनके पति को यह ‘नोट’ तब मिला, जब वे रविवार को विरार से लौटे।

सुर्वे ने मजदूरों के संघर्ष को बयां किया

उन्होंने कहा कि पुलिस टीवी और अन्य वस्तुओं पर मिले फिंगरप्रिंट के आधार पर आगे की जांच कर रही है। बचपन में ही अपने माता-पिता को खो देने वाले सुर्वे मुंबई की सड़कों पर पले-बढ़े। उन्होंने घरेलू सहायक, होटल के बर्तन साफ ​​करने वाले, बच्चों की देखभाल करने वाले, पालतू कुत्तों की देखभाल करने वाले, दूधवाले, कुली और मिल मजदूर के तौर पर काम किया। अपनी कविताओं के ज़रिए सुर्वे ने मजदूरों के संघर्ष को बताने की कोशिश की।

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