स्कंद षष्ठी व्रत हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती देवी के बड़े पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं। इस बार स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग बन रहा है। इसमें सूर्य का प्रभाव अधिक होता है, जिसमें सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। भगवान कार्तिकेय को स्कंद, कुमार, सुब्रह्मण्य, मुरुगन आदि नामों से भी पुकारा जाता है। नौ देवियों स्कंदमाता का भी वर्णन है, जिनकी गोद में स्कंद कुमार विराजमान हैं। भगवान स्कंद की पूजा करने से सभी प्रकार के रोग, दोष, काम, क्रोध, अभिमान, लोभ आदि का नाश होता है। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानिए आषाढ़ की स्कंद षष्ठी कब है?
2024 में स्कंद षष्ठी किस दिन है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, जो स्कंद षष्ठी के लिए आवश्यक है, 11 जुलाई को सुबह 10:03 बजे से शुरू हो रही है। यह तिथि 12 जुलाई को दोपहर 12:32 बजे समाप्त होगी। इस बार स्कंद षष्ठी व्रत 11 जुलाई, गुरुवार को रखा जाएगा।
रवि योग में है स्कंद षष्ठी
स्कंद षष्ठी व्रत के दिन दोपहर में रवि योग बन रहा है। रवि योग 12 जुलाई को दोपहर 1:04 बजे से सुबह 5:32 बजे तक है।
स्कंद षष्ठी 2024 मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:10 बजे से सुबह 04:51 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:45 बजे से दोपहर 03:40 बजे तक
स्कंद षष्ठी व्रत के लाभ
1. जो लोग निःसंतान हैं उन्हें स्कंद षष्ठी का व्रत रखना चाहिए और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। उनके आशीर्वाद से आपको संतान की प्राप्ति हो सकती है।
2. अगर आपके जीवन में धन-समृद्धि की कमी है तो आपको भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखना चाहिए। इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा होगी।
3. स्कंद कुमार के साथ भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस बार स्कंद षष्ठी गुरुवार को है और गुरुवार का दिन विष्णु पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में स्कंद षष्ठी पर विष्णु जी और स्कंद कुमार की पूजा का सुंदर संयोग बन रहा है। दोनों की एक साथ पूजा करने से आपके कार्य सफल होंगे और जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है।
4. स्कंद षष्ठी व्रत संतान की लंबी आयु और शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भी किया जाता है।