शिमला। देश में 15 अगस्त 2024 को 78वां स्वतंत्रता दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मानवीय दृष्टि से 78 वर्ष बुढ़ापे की उम्र होती है, लेकिन देश के संदर्भ में 78 वर्ष को जवानी कहा जाता है। अंग्रेजों की 200 साल की गुलामी से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था और पूरे देश ने इसका जश्न धूमधाम से मनाया था। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश में एक हिस्सा ऐसा भी है, जहां आजादी की खुशी एक दिन देरी से पहुंची। यह छोटा सा शहर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां लोगों ने आजादी की खुशी 16 अगस्त 1947 को मनाई थी और उसी दिन आजादी का जश्न मनाया था।
एक दिन देरी से मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस:
देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था, लेकिन शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित ठियोग शहर में स्वतंत्रता दिवस एक दिन देरी से यानी 16 अगस्त को मनाया जाता है। 1947 के दौरान यहां राजाओं का राज था, देश को आजादी मिलने के बाद प्रजामंडल के लोगों ने राजा को गद्दी से उतारकर 16 अगस्त को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया। तब से यहां 16 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। लोग इस दिन को रिहाली और जलसा के रूप में भी मनाते हैं। 16 अगस्त को ठियोग में मेला लगता है और स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। स्थानीय लोग मेले में लगी दुकानों से खरीदारी भी करते हैं।
आजादी से पहले शिमला में हुई महत्वपूर्ण घटनाएं:
शिमला अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। आजादी से पहले शिमला में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। देश की आजादी के संदर्भ में 1945 में अंग्रेजों के साथ कांग्रेस का शिमला सम्मेलन, 1946 की कैबिनेट मिशन की बैठक आदि कई घटनाएं शिमला में घटीं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कई बैठकों के सिलसिले में 10 बार शिमला आए। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बंटवारे का ताना-बाना भी शिमला में ही बुना गया था।