Friday, October 18, 2024
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Railway News : रेल यात्रियों का सफर होगा सुहाना, बनेगी 50 अमृत भारत ट्रेन, 2500 जनरल डिब्‍बे भी बनेंगे

देश में लोगों को आधुनिक सुविधाओं से लैस ट्रेनें पसंद आ रही हैं। इसी को देखते हुए वंदे भारत एक्सप्रेस के बाद सरकार ने अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन शुरू की है। सरकार ने अब 50 और अमृत भारत ट्रेनें बनाने का फैसला किया है। यह जानकारी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सदन में दी। रेल मंत्री ने कहा कि आने वाले महीनों में 2500 जनरल कोच बनाने का काम शुरू किया जाएगा। कुल 10,000 ऐसे कोच बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर 2023 को दो अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी। शुरू की गई दो अमृत भारत में से एक उत्तर प्रदेश के अयोध्या से बिहार के दरभंगा तक चलाई जा रही है, जबकि दूसरी ट्रेन पश्चिम बंगाल के मालदा और कर्नाटक के बेंगलुरु के बीच चलाई जा रही है।

मेल-पैसेंजर ट्रेनों में होंगे चार जनरल कोच

रेलवे में बढ़ती यात्रा मांग के बारे में चिंताओं का जवाब देते हुए अश्विनी वैष्णव ने सदन को बताया कि अब सभी मेल पैसेंजर ट्रेनों में चार जनरल कोच रखने का मानक ढांचा लागू किया जाएगा। ट्रेनों में दो तिहाई सामान्य कोच और एक तिहाई वातानुकूलित कोच का अनुपात बनाए रखा जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से 2964 स्टेशन कवर किए गए

रेल मंत्री ने लोकसभा को बताया कि 2014-24 के बीच 2964 स्टेशनों को इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग से कवर किया गया। इसके साथ ही उन्हें इंटरऑपरेबल बनाने के लिए कदम उठाए गए। यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए वैष्णव ने कहा कि मानव रहित लेवल क्रॉसिंग से होने वाली चिंताओं को कम करने के लिए रेल ओवर ब्रिज और अंडरपास बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 837 इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम भी लगाए गए हैं। कवच के बारे में वैष्णव ने विपक्ष पर उनके कार्यकाल के दौरान कवच जैसे उपकरणों के लिए सुरक्षा प्रमाण पत्र नहीं लेने का आरोप लगाया, जिसे 2006 में लागू किया गया था।

2014 तक कोई एटीपी नहीं था

वैष्णव ने यह भी उल्लेख किया कि 2014 तक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली “रेल नेटवर्क के किसी भी किलोमीटर” पर काम नहीं कर रही थी। उन्होंने कहा कि केवल प्रयोग किए गए थे, लेकिन उन्हें कभी लागू नहीं किया गया। इसके उपयोग का उल्लेख करते हुए वैष्णव ने सदन को बताया कि जब ट्रेनें तेज गति से चलती हैं तो सिग्नलों की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है।

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