Friday, November 22, 2024
Homeविदेशतालिबान की धरती पर पैदा हुआ 'अहिंसा का पुजारी', पाकिस्तान ने ली...

तालिबान की धरती पर पैदा हुआ ‘अहिंसा का पुजारी’, पाकिस्तान ने ली जान, जर्मनी से लेकर अफगान तक उठी ये आवाज

पश्तून कभी तालिबानी तो कभी पाकिस्तानी सेना के शिकार पर रहे हैं. ये लोग दो दशकों से तालिबान और पाकिस्तानी सेना, दोनों के हाथों हिंसा का निशाना बन रहे हैं. पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट- पीटीएम इसी अत्याचार के खिलाफ उठती एक आवाज है.

पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट- पीटीएम (Pashtun Protection Movement-PTM) के वरिष्ठ सदस्य और प्रसिद्ध कवि गिलामन वजीर की पिछले दिनों इस्लामाबाद में एक हमले में हत्या कर दी गई. 29 वर्षीय वजीर पर 7 जुलाई को हमला किया गया. गिलामन पर कई बार चाकू से वार किए गए. गंभीर रूप से घायल इस कवि को पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज -पीआईएमएस में भर्ती कराया गया था. तीन दिन की जद्दोजहद के बाद उनकी मौत हो गई.

नौजवान कवि गिलामन वजीर की कविताएं शांति का संदेश लिए होती थीं. उनके निधन पर अफगान ही नहीं पूरी दुनिया के लाखों लोग शोक में डूबे हैं. पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट के संस्थापक नेता मंजूर पश्तीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “मेरा सबसे करीबी, प्यारा और वफादार दोस्त, आजादी और अफगानवाद का मजबूत सिपाही, पश्तून अफगान लोगों के सच्चे प्रवक्ता ने हमेशा दमनकारी और उत्पीड़न के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई.”

गिलामन वजीर की मौत पर दुनियाभर में धरने-प्रदर्शन हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी अलग तरह का कोल्ड वॉर छिड़ा हुआ है. जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में वजीर की मौत पर हजारों लोग सड़क पर उतर आए. हाथों में तख्ती और ‘हमें न्याय चाहिए’ के नारों के साथ हजारों पश्तूनों ने पाकिस्तान में गिलामन वजीर हत्या की निंदा करते हुए मार्च निकाला.

ट्विटर पर Mirwais नाम से एक यूजर वजीर की मां की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखते हैं- “बहुत से लोगों ने गिलामन वजीर की मां की तस्वीर साझा की, जो अपने बेटे के ताबूत पर बहादुरी से मुस्कुरा रही है. लेकिन ये तस्वीर मेरा दिल तोड़ देती है. किसी भी मां को इतना दर्द न सहना पड़े और इतना मजबूत न होना पड़े. हिंसा ने पश्तून भूमि में पीढ़ियों के जीवन और सपनों को नष्ट कर दिया है.”

1994 में जन्मे गिलामन वजीर उत्तरी वजीरिस्तान में डूरंड लाइन के पास पले-बढ़े. वजीर का बचपन आतंकवाद के साये में बीता. जवानी भी संगीनों के साये में सहमे-सहमे रही. कभी अमेरिकी ड्रोन हमले तो कभी पाकिस्तानी सेना का अत्याचार. इन सबसे इतर तालिबान और अल-कायदा ने वजीरिस्तान को दुनिया की सबसे खतरनाक जगह बना दिया.

युद्ध, दंगे-फसाद ने गिलामन वजीर को तीसरी कक्षा के आगे पढ़ने ही नहीं दिया. जिस बच्चे की आंखों के आगे अक्षरों की दुनिया होनी चाहिए, वह देख रहा था सिर कटी लाशें, चीखते-चिल्लाते लोग, बम के धमाके, और ना जाने क्या-क्या. युद्ध और आतंकवाद के साये में बड़े होने के बावजूद वजीर ने हमेशा शांति, लोकतंत्र और मानवाधिकार की वकालत की. आतंकवाद के साये में बढ़ते बच्चे को देखकर उनके माता-पिता ने उन्हें वर्ष 2000 की शुरुआत में बहरीन भेज दिया.

बहरीन में रहते हुए गिलामन वजीर ने पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट- पीटीएम की वकालत करने और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए धन जुटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया. पीटीएम के लिए उनके समर्थन के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा. उसके बाद उन्हें बहरीन से निकाल दिया गया. कैदी के रूप में पाकिस्तान भेजे जाने पर सरकार ने वजीर का पाकिस्तानी पासपोर्ट जब्त कर लिया.

RELATED ARTICLES

Most Popular