केवल चार दिन पहले मुंबई शहर में भारतीय क्रिकेट टीम के स्वागत के लिए मरीन ड्राइव और जगह-जगह घूमने आया था। तब शहर की शुष्कता प्रभावित हुई लेकिन शहर फिर से शुष्क लगा। लेकिन अब बारिश ने फिर पूरे शहर को डरा दिया है। 06 घंटे से बारिश जारी है. स्कूल, कॉलेज, आफिस बंद हो चुके हैं। लोकल लाइन पर रेलें थीं. बारिश मुंबई के लिए फिर आफत लेकर आई है। हाल ही में बारिश के बाद स्थानीय रेलवे लाइन पर पानी भर गया है। सेंट्रल लाइन को बंद कर दिया गया है। महानगर के कई हिस्सों में पानी भर गया है। परेशानी पर खासा असर पड़ा है. महानगर इसलिए भी सहमा हुआ है कि क्योंकि यहां अगले दो तीन दिनों तक भारी बारिश का आधिकारिक अधिसूचना जारी किया जा चुका है।
हम पिछले कुछ सालों में लगातार देखते आ रहे हैं कि हर साल बारिश के मौसम में मुंबई पानी में डूब जाती है। अतीत पर लौटें और उससे भी ऊपर तक पानी जमा हो जाता है। गाड़ियाँ पानी में फँस जाती हैं। टीवी की भीषण समस्या पैदा हो जाती है। रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाने की वजह से स्थानीय इलाकों पर असर पड़ रहा है। 24 घंटे दौड़ती-भागती मुंबई बारिश के चलते घर सी जाती है। हर साल ऐसा क्यों होता है? साल दर साल बीतने के बाद भी बीएमसी के पास समाधान नहीं हैं। जानते हैं हर साल बारिश में मुंबई में पानी-पानी क्यों हो जाती है।
हर साल पानी में क्यों डूब जाती है मुंबई
मुंबई न केवल अरब सागर से घिरा हुआ है, बल्कि इसके बीच से चार नदियां भी बहती हैं – मीठी, दहिसर, ओशिवारा और पोइसर. इसके अलावा यहां चार खाड़ियां भी हैं – मलाड, माहिम, माहुल और ठाणे. इन सभी जलमार्गों के कारण 21 मिलियन की आबादी वाला यह शहर मानसून के मौसम में विशेष रूप से बाढ़ की चपेट में आ जाता है.नदियों और खाड़ियों के ज्वारीय प्रभाव का शहर की जल निकासी प्रणाली पर सीधा प्रभाव पड़ता है , विशेष रूप से तब जब उच्च ज्वार यानि हाई टाइड के साथ भारी वर्षा होती है.
मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कूल ऑफ हैबिटेट स्टडीज में प्रोफेसर अमिता भिड़े ने अपने एक लेख में लिखा, मीठी नदी को ही लें. ये एक महत्वपूर्ण जल निकासी चैनल रहा है लेकिन इसे पाटा जाता रहा. कई जगह इसकी निकासी का रास्ता इसके चलते संकरा होता चला गया. विकास ने भी मुंबई की नदियों की जलनिकासी पर बहुत बुरी तरह असर डाला.
मुंबई से होकर गुजरने वाली नदी की औसत चौड़ाई ज्यादातर जगहों पर अब केवल 10 मीटर है. कोई होल्डिंग तालाब नहीं है, जबकि बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स जैसे क्षेत्रों में वाणिज्यिक विकास के दबाव के कारण भूमि सुधार का काम अतिरिक्त तीव्रता से आगे बढ़ा है.
क्यों होने लगते हैं जलमग्न
परिणामस्वरूप, जब मानसून की बारिश आती है, तो मीठी के बाढ़ के मैदान जलमग्न हो जाते हैं, विशेषकर जब भारी बारिश और उच्च ज्वार एक साथ आते हैं. ये स्थिति जब भी होती है तब मुंबई की बारिश इस पूरे शहर को डूबाने लगती है.
वैसे मुंबई ही नहीं दूसरे शहरों में भी यही हो रहा है
चेन्नई में जल भंडारण के लिए पारंपरिक ‘एरिस’ या पारंपरिक टैंक प्रणाली, बेंगलुरु में झीलों और हैदराबाद में चट्टान-झील संरचनाओं का एक संतुलन था, जो विकास और अतिक्रमण के कारण बिगड़ने लगा है. इसी वजह से इन सारे शहरों में भारी बारिश के बाद इन शहरों के जलमग्न होने की खबरें हम पढ़ते रहे हैं.
मुंबई में बाढ़ के हॉटस्पॉट काफी बढ़ गए
मुंबई में बाढ़ के हॉटस्पॉट की संख्या 2021 में 68 से बढ़कर 2022 में 120 से अधिक हो गई है. उसकी वजह यही है कि जल निकासी की ओर नियोजित विकास में ध्यान नहीं दिया गया. शहर की बढ़ती भीड़ और अतिक्रमण ने हालत और खराब कर दी. मुंबई यूं भी काफी घना शहर है और वहां की बसावट भी बहुत संकरी, घनी है.