Friday, October 18, 2024
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मोसाद प्रमुख डेविड बरनिया कौन हैं, जिनके आदेश पर उनकी एजेंसी ने ईरान में प्रवेश किया और इस्माइल हनिया की हत्या कर दी?

पिछले साल 7 अक्टूबर की आधी रात को हमास के आतंकियों ने इजराइल पर हवाई हमले किए थे। इस हमले में 1200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। इस घटना के बाद से इजराइल ने हमास के खिलाफ जंग छेड़ दी है। इजराइली सेना और उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद लगातार गाजा में हमास के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर रही है। पिछले साल हमास के हमले के बाद मोसाद ने हमास को खत्म करने की कसम खाई थी। ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनिया की हत्या को उसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है।

हालांकि इजराइल ने इस हमले की न तो जिम्मेदारी ली है और न ही इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी किया है। लेकिन माना जा रहा है कि इस्माइल हनिया की हत्या इजराइल की बदले की कार्रवाई है। और इसे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अंजाम दिया है। इस्माइल हनिया ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए थे, तभी मोसाद ने ईरान में घुसकर उनकी हत्या कर दी। ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने इस्माइल हनिया की मौत के बारे में एक बयान जारी किया। बुधवार सुबह जारी बयान में सेना ने कहा, “जिस इमारत में इस्माइल हनिया और उनका एक अंगरक्षक रह रहा था, उस पर हमला किया गया। इस हमले में इस्माइल हनिया के साथ उनके अंगरक्षक की भी मौत हो गई।”

मोसाद प्रमुख डेविड बरनिया इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ।

7 अक्टूबर का बदला लेने की बात कही थी

हमास के आतंकवादियों द्वारा इजरायल पर हमला करने के कुछ दिनों बाद ही गुप्त एजेंसी मोसाद के प्रमुख डेविड बरनिया ने कहा था कि उनका देश हमास के सभी प्रमुख कमांडरों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। डेविड बरनिया ने इस साल जनवरी में लेबनान में हमास के उप नेता सालेह अल-अरोरी की हत्या के एक दिन बाद चेतावनी दी थी कि इजरायल 7 अक्टूबर को गाजा से हमलों की योजना बनाने वालों और हत्यारों से हिसाब लेगा। डेविड बरनिया ने हमास नेताओं को खोजकर मारने की कसम खाई थी।

डेविड बरनिया ने देश से किया था वादा

डेविड बरनिया ने पूर्व मोसाद प्रमुख ज़वी ज़मीर के अंतिम संस्कार में भी यह वादा दोहराया था। उन्होंने कहा था कि म्यूनिख नरसंहार के बाद की कार्रवाई की तरह हमास को खत्म करने में समय लगेगा, लेकिन वे जहां भी हैं, हम उन्हें ढूंढ़ लेंगे। हर अरब मां को पता होना चाहिए कि अगर उसका बेटा 7 अक्टूबर के नरसंहार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल था, तो उसका खून उसके लिए जिम्मेदार होगा। डेविड बरनिया का यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे इजरायल की ओर से युद्धविराम वार्ता में भी शामिल थे।

बरनिया 96 में मोसाद में शामिल हुए, 2021 में चीफ बने

डेविड बरनिया 1996 में मोसाद में शामिल हुए। उन्होंने ज़ोमेट डिवीजन में रहते हुए इजरायल और विदेशों में ऑपरेशन यूनिट्स की कमान संभाली। ढाई साल तक वे केशेट डिवीजन के डिप्टी चीफ रहे, जिसका काम घुसपैठ करना और लक्ष्यों की निगरानी करना है। 2013 में उन्हें ज़ोमेट डिवीजन का प्रमुख नियुक्त किया गया। डेविड बरनिया जब ज़ोमेट डिवीज़न के प्रमुख थे, तब उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चार पुरस्कार दिए गए थे. 2019 में उन्हें मोसाद का उप प्रमुख नियुक्त किया गया. जून 2021 में उन्हें मोसाद का प्रमुख बनाया गया. उन्होंने योसी कोहेन से यह पद संभाला. बंधकों की रिहाई में निभाई अहम भूमिका हमास और इसराइल के बीच युद्ध शुरू होने के बाद डेविड बरनिया ने इसराइली बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हमास के साथ एक समझौते पर ज़ोर दिया. 9 नवंबर 2023 को डेविड बरनिया ने दोहा में सीआईए निदेशक विलियम जे. बर्न्स और कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल-थानी से मुलाक़ात की. युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई की संभावनाओं पर चर्चा की गई. सीआईए प्रमुख बर्न्स के अलावा डेविड बरनिया अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के बीच बंधकों की रिहाई को लेकर हुई बातचीत में भी शामिल थे. डेविड बरनिया ने तेल अवीव में मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल फॉर कमांड में पढ़ाई की और 1983 में इजरायली सेना में शामिल हो गए।

पिता जर्मनी से भाग गए

डेविड बरनिया के पिता जोसेफ ब्रूनर जब तीन साल के थे, तब उनका परिवार जर्मनी से भागकर इजरायल में बस गया था। डेविड बरनिया का जन्म इजरायल के अश्कलोन में हुआ था और वे रिशोन लेजियन में पले-बढ़े। जोसेफ ने इजरायली सेना में शामिल होने के बाद देश के लिए लड़ाई लड़ी और फिर लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर काम किया। उनकी मां नाओमी का जन्म एसएस पैट्रिया में हुआ था और उन्होंने एक शिक्षिका और स्कूल प्रिंसिपल के तौर पर काम किया।

सेना में रहे, बाद में बिजनेस मैनेजर बने

डेविड बरनिया ने तेल अवीव में मिलिट्री बोर्डिंग स्कूल फॉर कमांड में पढ़ाई की और 1983 में वे इजरायली सेना यानी आईडीएफ में शामिल हो गए। उन्होंने जनरल स्टाफ रिकॉनसेंस रेजिमेंट के साथ अपनी सैन्य सेवा की। बाद में उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई की। उन्होंने न्यूयॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से स्नातक की डिग्री और पेस यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की। ​​इसके बाद उन्होंने इजरायल के एक बैंक में बिजनेस मैनेजर के तौर पर काम किया।

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