Friday, November 22, 2024
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भारत के पड़ोसी देशों में रची जा रही साजिश, साइबर ठगी में चूरू से चीन का चौंकाने वाला कनेक्शन सामने आया

हाल ही में गुड़गांव पुलिस द्वारा उजागर किए गए साइबर अपराध में चौंकाने वाला विदेशी कनेक्शन सामने आया है। यह जामताड़ा और नूंह के कुछ हिस्सों में किए गए धोखाधड़ी से भी ज्यादा शातिर और संगठित है, जिसे विदेश से नियंत्रित किया जा रहा है। मानेसर से जालंधर तक फैले एक निवेश धोखाधड़ी रैकेट की जांच करते हुए, पुलिस टीम ने चूरू (राजस्थान) स्थित एक मोबाइल फोन दुकान के मालिक को गिरफ्तार किया, जो विदेश में बैठे चीनी हैंडलर द्वारा निर्देशित भारतीयों के एक नेटवर्क का हिस्सा था। आरोपी ने बताया कि वह हैंडलर से व्यक्तिगत रूप से मिलने कोलंबो गया था।

पुलिस ने बताया कि यह मामला इसी महीने की शुरुआत में हुए एक अन्य मामले से मिलता-जुलता है, जब वडोदरा के एक व्यक्ति ने दुबई में बैठे एक चीनी हैंडलर को कथित तौर पर सात बैंक खातों तक पहुंच प्रदान की थी। उस मामले में भी आरोपी ने पुलिस को बताया था कि वह दुबई गया था।

पड़ोसी देशों में रची जा रही है साजिश

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशियों के नेतृत्व वाले गिरोह पड़ोसी देशों से संचालित होते हैं, क्योंकि वहां भारतीय गिरोह के सदस्यों से मिलना आसान होता है। भारत में सक्रिय बैंक खाते उनके लिए धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए महत्वपूर्ण हैं और वे ठगी गई राशि को कई बैंक खातों में स्थानांतरित करते हैं, जिससे राशि का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। वे इस तरह भारतीय जांच एजेंसियों की नजर में आने से भी बचते हैं। हालांकि, अब तक साइबर अपराध के मामलों में विदेश से एक भी चीनी नागरिक को भारतीय एजेंसियों ने गिरफ्तार नहीं किया है।

इस तरह हुआ 28 लाख रुपये की ठगी का पर्दाफाश

चूरू के व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध की शिकायत फरवरी में मानेसर निवासी एक व्यक्ति ने पुलिस को दी थी, जिसने 28 लाख रुपये गंवा दिए थे। शिकायतकर्ता को शेयर बाजार में निवेश पर आकर्षक रिटर्न का लालच दिया गया था। जालसाजों पर विश्वास करके उसने उनके बताए बैंक खातों में राशि स्थानांतरित कर दी। जब उसने अपना रिटर्न निकालने की कोशिश की, तो जालसाजों ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म तक उसकी पहुंच बंद कर दी और तब उसे धोखाधड़ी का एहसास हुआ।

शिकायत के आधार पर पुलिस ने 26 जून को मामले में पहली गिरफ्तारी की। जालंधर के एक निजी कर्मचारी नीरज और उसके साथी आमिर अहमद (जालंधर) और नंद किशोर शाकिया (हनुमानगढ़, राजस्थान) को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि नीरज ही असली खाताधारक था, जिसने अहमद के साथ बैंक खाते का विवरण साझा किया था। यह नीरज का ही खाता था, जिसमें मानेसर निवासी पीड़ित ने पैसे ट्रांसफर किए थे।

चीनी हैंडलर से कनेक्शन का खुलासा

नंद किशोर ने पुलिस को बताया कि वह मोबाइल शॉप के मालिक मुरजाद सिंह शेखावत (44) के संपर्क में था। उसे गुरुवार को सोनीपत में केएमपी एक्सप्रेसवे के पास से गिरफ्तार किया गया। शेखावत ने पुलिस को बताया कि वह कई महीनों से चीनी हैंडलर के संपर्क में था। पुलिस को शेखावत के सेलफोन में चार चीनी नागरिकों के संपर्क विवरण भी मिले। वह व्हाट्सएप पर एक नेपाली नागरिक के माध्यम से उनके संपर्क में आया और वह टेलीग्राम के माध्यम से उनसे संपर्क करता था।

बयान के अनुसार, शेखावत मई 2024 में कोलंबो गया और जुलाई तक चार चीनी नागरिकों के साथ एक घर में रहा। वहां, उसे भारत में ऐसे सहयोगी खोजने के लिए कहा गया, जो बैंक खाते खोलने में उसकी मदद कर सकें। एसीपी ने कहा, “शेखावत ने ऑपरेटरों को चार चालू खाते उपलब्ध कराए। उसे ठगी गई रकम का 1.5% कमीशन के रूप में भी मिला, जो उसके द्वारा बताए गए बैंक खातों में चला गया।” पुलिस ने शेखावत के पास से पासपोर्ट, तीन मोबाइल फोन और नेपाल और श्रीलंका के सिम कार्ड जब्त किए हैं। वह तीन दिन की पुलिस रिमांड पर है। इससे पहले इस मामले में गुड़गांव पुलिस ने दुबई में चीनी धोखेबाजों की मदद करने के आरोप में 6 अगस्त को वडोदरा के 33 वर्षीय तारिफ हुसैन मलिक को गिरफ्तार किया था। नवंबर 2023 में निवेश धोखाधड़ी में 10 लाख रुपये के नुकसान की शिकायत दर्ज होने के बाद मामले की जांच शुरू हुई थी।

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