क्रिकेट के खेल की शुरुआत से ही इसमें इस्तेमाल होने वाले बल्ले को लेकर कई विवाद होते रहे हैं। शुरुआत में क्रिकेट के बल्ले के आकार को लेकर कोई लिखित नियम नहीं था। 1771 में एक क्रिकेट मैच के दौरान एक खिलाड़ी इतना चौड़ा बल्ला लेकर बल्लेबाजी करने आया कि उसमें तीनों स्टंप ढक गए। ऐसे में विवाद होना लाजिमी था। विपक्षी टीम द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद बल्ले का आकार (लंबाई, चौड़ाई और मोटाई) तय करने की जरूरत महसूस हुई। बल्ले का आकार तो तय हो गया लेकिन नियमों में यह जिक्र नहीं था कि बल्ला सिर्फ लकड़ी का ही होना चाहिए। ऐसे में एक खिलाड़ी के एल्युमिनियम का बल्ला लेकर मैदान पर पहुंचने के बाद फिर से बहस शुरू हो गई। आखिरकार क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था को बल्ले के आकार के साथ यह भी बताना पड़ा कि बल्ला हर हाल में लकड़ी का ही होना चाहिए। किसी अन्य धातु से बने बल्ले के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। आइए नजर डालते हैं क्रिकेटरों के बल्ले से जुड़े ऐसे मामलों पर जो सुर्खियों में रहे..
लिली का एल्युमीनियम का बल्ला गेंद को खराब कर रहा था
ऑस्ट्रेलिया के महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली की छवि एक बिगड़ैल क्रिकेटर की थी। कभी वे पाकिस्तान के जावेद मियांदाद से मैदान पर झगड़े को लेकर विवादों में घिरे तो कभी धातु के बल्ले के इस्तेमाल को लेकर। दिसंबर 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज के दौरान पर्थ टेस्ट में वे एल्युमीनियम का बल्ला लेकर बल्लेबाजी करने उतरे और इससे कुछ गेंदों का सामना भी किया। इस समय तक विपक्षी खिलाड़ियों को यह अहसास नहीं था कि उनका बल्ला धातु का बना है। जब इंग्लैंड के तत्कालीन कप्तान माइक ब्रियरली ने गेंद को हाथ में लिया तो उन्होंने पाया कि इसका आकार खराब है। तब यह बात सामने आई। ब्रियरली ने इस मामले की शिकायत अंपायरों से की। इसके चलते कुछ मिनट के लिए खेल रोक दिया गया। अंपायरों के कहने के बावजूद लिली अपना बल्ला बदलने को तैयार नहीं हुए। बाद में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल ने हस्तक्षेप किया, तब लिली ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बल्ला बदल दिया। इस घटना ने शीर्ष क्रिकेट संस्था को नियम में यह जोड़ने पर मजबूर कर दिया कि बल्ला लकड़ी का बना होना चाहिए।
पोटिंगर के बल्ले में कार्बन ग्रेफाइट की पट्टियां थीं
लिली से जुड़े विवाद के 25 साल बाद अप्रैल 2005 में एक और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर बल्ले को लेकर विवादों में आया। ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान रिकी पोंटिंग ने जिस कूकाबुरा बल्ले से पाकिस्तान के खिलाफ दोहरा शतक लगाया था, वह जांच के घेरे में आ गया। यह बल्ला लकड़ी का बना था, लेकिन इसके पीछे कार्बन ग्रेफाइट की पट्टियां लगी थीं। माना जाता था कि इन पट्टियों की वजह से पोंटिंग के शॉट्स में अतिरिक्त गति आती थी। इससे बल्ले की ताकत बढ़ती है और इसका फायदा बल्लेबाज को मिलता है। पोंटिंग ने कहा था कि वह पिछले पांच-छह सालों से इस बल्ले का इस्तेमाल कर रहे हैं (इसी दौरान 2003 का विश्व कप भी हुआ था)। एमसीसी ने आईसीसी के समक्ष इस पर चिंता जताई। सभी सबूतों और इस कार्बन पट्टी वाले बल्ले को पूरी तरह जानने के बाद इस बल्ले के इस्तेमाल को अवैध घोषित कर दिया गया। आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2003 से अप्रैल 2005 तक जब यह मामला प्रकाश में आया, पोंटिंग ने इस बल्ले का इस्तेमाल कर खूब रन बनाए। इस दौरान टेस्ट में उनका औसत 70.57 और वनडे में 42.57 रहा। माना जाता है कि इस प्रदर्शन में पोंटिंग के ‘विशेष बल्ले’ का भी योगदान रहा।
मैथ्यू हेडन के मोंगूज बल्ले ने बटोरी सुर्खियां
ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज मैथ्यू हेडन आईपीएल के 2010 सीजन के दौरान मोंगूज बल्ले का इस्तेमाल कर चर्चा में रहे। इसी बल्ले से उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स (नया नाम दिल्ली कैपिटल्स) के खिलाफ 43 गेंदों पर 93 रनों की पारी खेलकर वाहवाही बटोरी थी। बल्ला बनाने वाली कंपनी मोंगूज का यह बल्ला आम बल्ले से थोड़ा अलग दिखता है। इसका हैंडल आम बल्ले से लंबा होता है और ब्लेड का आकार छोटा होता है। इस बल्ले का इस्तेमाल दमदार शॉट मारने के लिए किया जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस बल्ले के ब्लेड के हर हिस्से में ‘स्वीट स्पॉट’ होता है और इसे हिटिंग के लिए उपयुक्त माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोंगूज बैट हिटिंग के लिए तो अच्छे हैं, लेकिन डिफेंस के लिए नहीं। इस बैट के अपने फायदे और नुकसान दोनों हैं। छोटे ब्लेड वाले इस बैट के हिसाब से अपने खेल को ढालना भी एक मुद्दा है। सुरेश रैना, साइमंड्स, स्टुअर्ट लॉ, ड्वेन स्मिथ और अशरफुल जैसे बल्लेबाज मोंगूज बैट का इस्तेमाल कर चुके हैं। रैना ने जल्द ही इस बैट को छोड़ दिया और सामान्य बैट का इस्तेमाल करने लगे।
यूनिवर्स बॉस का ‘गोल्डन बैट’
वेस्टइंडीज के धुरंधर बल्लेबाज क्रिस गेल को शाही अंदाज पसंद है। ‘यूनिवर्स बॉस’ गेल ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग 2015 के दौरान गोल्डन रंग के बैट के साथ मैदान में उतरे थे। भारतीय कंपनी स्पार्टन ने इस बैट को तैयार करके बीबीएल में गेल के पहले मैच से पहले ऑस्ट्रेलिया भेजा था। गेल इस खास बैट का इस्तेमाल करने वाले पहले बल्लेबाज थे और मीडिया में उनकी खूब चर्चा हुई थी। यह भी आरोप लगाया गया था कि इस बैट को बनाने में धातु का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि स्पार्टन ने इन आरोपों को बकवास बताया। कंपनी ने कहा था कि बल्ले को बनाने में नियमों का पूरा पालन किया गया है और इससे बल्लेबाज को कोई अतिरिक्त फायदा नहीं मिलता है।
रसेल ने काले और गुलाबी रंग के बल्ले का इस्तेमाल किया है
वेस्टइंडीज के आंद्रे रसेल ने गेल की तर्ज पर बिग बैश लीग के 2016 सीजन में जेट ब्लैक रंग के बल्ले का इस्तेमाल कर चर्चा बटोरी थी। उन्होंने टूर्नामेंट में सिडनी थंडर्स के पहले मैच में इसी बल्ले से खेला था। बीबीएल से पहले क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने भी इसी बल्ले का इस्तेमाल किया था।