Thursday, November 21, 2024
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गुजरात में फिर भारी बारिश का खतरा, बंगाल की खाड़ी और विदर्भ क्षेत्र में एक साथ चार लो डिप्रेशन सिस्टम सक्रिय

बंगाल की खड़ी और विदर्भ रीजन में एक साथ चार चार लौ डिप्रेशन सिस्टम सक्रिय होने से गुजरात में फिर भारी बारिश का खतरा है।

बंगाल की खाड़ी और विदर्भ रीजन में एक साथ चार चार लौ डिप्रेशन सिस्टम सक्रिय होने से गुजरात में फिर भारी बारिश का खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग ने तीन सितंबर से नौ सितंबर के बीच गुजरात के 19 जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है। गुजरात फिलहाल बाढ़ से उबर रहा है। केंद्रीय समिति जल्द ही राज्य का दौरा कर बाढ़ से हुए नुकसान का आंकलन करेगी। हालांकि, इससे पहले ही राज्य में फिर से बाढ़ का खतरा बन रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुजरात में बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, टीम शीघ्र ही गुजरात के बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा करेगी, जहां 25 से 30 अगस्त के बीच भारी से बहुत भारी वर्षा हुई थी। 26 और 27 अगस्त को राज्य भर में बारिश से संबंधित घटनाओं में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भी बाढ़ के कारण कुछ लोगों को जान गंवानी पड़ी।

नाव पलटने के बाद लोगों को बचाने उतरे व्यक्ति की मौत

बोटाद जिले में सोमवार को एक नदी में नौका के पलट जाने पर उसपर सवार श्रद्धालुओं को डूबने से बचाने के लिए प्रयासरत एक व्यक्ति की डूबकर मौत हो गयी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। गिर गधाडा के तालुक विकास अधिकारी अनिल वाला ने बताया कि यह घटना तब घटी जब खिजड़िया गांव के पास सोमवार सुबह चार श्रद्धालुओं को एक नौका कालूभर नदी के उस पार बेलनाथ महादेव मंदिर ले जा रही थी। वाला ने बताया कि कुछ स्थानीय लोगों ने इन श्रद्धालुओं को बचाने के लिए तुरंत नदी में छलांग लगा दी, लेकिन दुर्भाग्य से बचाने वालों में शामिल हरपालसिंह गोहिल की डूबने से मौत हो गई।

वडोदरा में बनी थी बाढ़ की स्थिति

वडोदरा में विश्वामित्री नदी के उफान पर होने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। यह नदी खतरे के निशान से 37 फुट ऊपर बह रही थी। इसके चलते 6,073 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में 26 लोंगों की मौत हो गई थी। राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश के बीच बाढ़ प्रभावित इलाकों से करीब 17,800 लोगों को निकाला गया था। विश्वामित्री नदी के किनारे टूटने से शहर के कई इलाके जलमग्न हो गए थे। एहतियात के तौर पर बिजली फीडर और ट्रांसफॉर्मर बंद कर दिए गए थे। बाढ़ का पानी कम होने के बाद लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए पंपिंग स्टेशन शुरू किए गए थे।

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