शहर की भागदौड़, भारी-भरकम लोगों की मेंटलहेल्थ का बाजा-बाजा उत्पाद है। लंबे समय तक शहरों में रहने वाले लोग स्ट्रेस, एंजाइटी, अवसाद, उच्च रक्तचाप सहित कई पेट्रोलियम का शिकार हो जाते हैं। जब भी लोग प्राकृतिक स्थानों पर जाते हैं, तो वे काफी ईमानदार होते हैं। इसका कारण यह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को समय-समय पर शहर के किनारे से दूर नेचर के साथ समय-समय पर सलाह दी जाती है। इससे न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है, बल्कि कई खाद्य पदार्थों से भी राहत मिलती है। कई अध्ययनों में इस चीज को सेहत के लिए बेहद खतरनाक बताया गया है।
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक प्रकृति की गोद में अध्ययनकर्ता से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ता है। कुछ दिनों तक प्राकृतिक वातावरण में स्ट्रेस, एंजाइटी और अवसाद कम होने लगता है। साथ ही हार्ट रेट, ब्लड पार्ट्स और मसल्स में स्ट्रेन कम होने लगता है। इससे लोग रेलैक्स फाइल करने लगे हैं। इतना ही नहीं, वर्कशॉप पर लोगों का आत्म-विश्वास बढ़ता है। शांत और प्राकृतिक स्थानों पर लोगों के सबसे सस्ते अवशेष पाए जाते हैं और लोग काफी सहज महसूस करते हैं। ऐसी जगह पर जाने से लोगों की गुणवत्ता सबसे अच्छी होती है।
कुछ साल पहले जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी के इस संबंध में एक अध्ययन की थी। इसमें पता चला कि प्रकृति के साथ समय बिताने वाले लोगों की चॉइस और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े फायदे मिल सकते हैं। ऐसी जगह पर ठहरने से कई खतरे का खतरा कम हो सकता है। वर्ष 2019 के एक सर्वेक्षण में पता चला कि सभी लोगों को अच्छी सेहत के लिए हर सप्ताह बाहरी प्रकृति के साथ कम से कम 120 मिनट का प्रवास करना चाहिए। इस दावे से देखें, तो लोगों को प्रतिदिन कम से कम 20 से 30 मिनट तक सक्रिय सक्रियता बरतनी चाहिए। इससे ब्लड सप्लाई 10% तक कम हो सकती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि प्रकृति के साथ समय बिताने के लिए पहाड़ों या समुद्र के किनारे जाना होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। यदि आप अपने घर के आसपास किसी पार्क, उद्यान या खुले मैदान में भी शांत समय बिता सकते हैं। इसके अलावा किसी भी मैदान में ठोस सक्रियता शामिल हो सकती है। शहरी क्षेत्र के लोगों के लिए प्रकृति के साथ घूमना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन शहर के आसपास कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां सप्ताहांत पर पर्यटकों के मानसिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया जा सकता है।