पिछले कुछ सालों से निजी क्षेत्र का यस बैंक (Yes Bank) वित्तीय नियामक का सामना कर रहा है। एक समय था जब इस बैंक के एक शेयर का भाव 400 रुपये था, लेकिन आम कलह और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण बैंक की हालत इसके शेयर के भाव ऐसे लुढ़के कि 11 रुपये पर आ गए। अब पिछले एक साल से इसके शेयर ताबड़तोड़ रिटर्न दे रहे हैं। वहीं इस हफ्ते शुक्रवार को आखिरी कारोबारी दिन में इसने 9% का रिटर्न दिया।
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो, पिछले एक साल में यस बैंक के शेयर ने 49.83% का रिटर्न दिया है। वहीं, इस साल अबतक जोड़ों को 17.75% का मुनाफा हुआ है। पिछले एक महीने में इस शेयर ने 16.46% का रिटर्न दिया है. अब जल्दी से जल्दी मौत के बीच नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद बढ़ गई है।
2005 में आया था IPO
आपको बता दें कि इस बैंक का IPO 2005 में आया था जो 300 करोड़ रुपये का था। 2015 में यस बैंक की लिस्टिंग एनएसई पर हुई और 2017 में क्यूआईपी के जरिए 4906.68 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कॉरपोरेशन (एनबीएफसी) के तौर पर अशोक कपूर, राणा कपूर और हरकीरत सिंह ने नीदरलैंड के राबो बैंक के साथ मिलकर 1999 में शुरू किया था।
इस बैंक के शुरू होने के लगभग 4 साल बाद ही प्रमोटर फैमिली में कलह शुरू हुई थी और इसका असर बैंक के कारोबार पर दिखने लगा था। वहीं बैंक पहले से घाटे में चल रही कंपनियों को ऋण बांट रही थी, जिसकी वजह से जब बैंक का ऋण भी बढ़ रहा था। वित्त वर्ष 2020 में यस बैंक का शुद्ध घाटा 16,418.02 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। बैड लोन की राशि 50,000 करोड़ पर थी। बैंक के ऋण बुक में अनिल अंबानी की रिलायंस, एस्सेल ग्रुप, एस्सार पावर, वरदराज प्रोजेक्ट, रेडियस डेवलपर्स, आईएलएंडएफएस, दीवान हाउजिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे और एल्टिको जैसी कई संकटग्रस्त कंपनियां थीं।
SBI ने थामा हाथ
RBI ने बैंक की लगातार गिरती हालत को देखकर इसे मोरेटोरियम में रखने का फैसला किया. बैंक मैनेजमेंट के तय वक्त के अंदर पुनरुद्धार योजना न ढूंढ पाने के चलते मार्च 2020 में RBI ने बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया और SBI के पूर्व CFO प्रशांत कुमार को एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर 3 अप्रैल तक ग्राहकों के लिए जमा से निकासी की सीमा 50,000 रुपये कर दी. साथ ही SBI को यस बैंक में निवेश के लिए बेंकों का एक कंसोर्शियम बनाने को कहा.
लौटने लगे अच्छे दिन
प्रशांत कुमार को सीईओ और एमडी बनाए जाने के बाद यस बैंक ने अपना खोया हुआ भरोसा फिर से पाना शुरू किया. दिसंबर 2022 में बैंक ने 48000 करोड़ रुपये के बैड लोन्स को 11,500 करोड़ रुपये में बेच दिया. जुलाई, 2022 में वैश्विक निजी इक्विटी फर्मों कार्लाइल और एडवेंट से 8,900 करोड़ रुपये का फंड जुटाया.
वित्त वर्ष 2023 में यस बैंक का शुद्ध मुनाफा 32.7 प्रतिशत की कमी के साथ 717 करोड़ रुपये रहा. वहीं वित्त वर्ष 2024 में बैंक का शुद्ध मुनाफा 74 प्रतिशत के उछाल के साथ 1,251 करोड़ रुपये रहा. वित्त वर्ष 2024 लगातार तीसरा साल रहा, जब बैंक ने मुनाफा दर्ज किया.