छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में उफनती महानदी में गिरी एक महिला को ओडिशा के झारसुगुड़ा में लखनपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत पलसाडा गांव से बचा लिया गया।
भुवनेश्वर: एक बहुत पुरानी और मशहूर कहावत है कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके न कोय’। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ की एक 33 वर्षीय महिला के मामले में देखने को मिला है जो मानसिक बीमारी से पीड़ित थी। खबरों के मुताबिक, गुरुवार को ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले में उफनती महानदी से 33 वर्षीय महिला को बचाया गया। पुलिस ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जब महिला को नदी से बचाया गया तो उसके पैर बेड़ियों से बंधे हुए थे। जब महिला नदी में बह रही थी तो उसकी चीखें सुनकर मछुआरों ने उसे बचाया।
‘मछुआरों ने महिला की चीख सुनी’
पुलिस ने बताया कि उफनती नदी से बचाई गई महिला की पहचान सरोजिनी चौहान के रूप में हुई है। महिला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में महानदी के किनारे बसे पुराथ गांव की रहने वाली है। पुलिस ने बताया कि महिला को ओडिशा के झारसुगुड़ा में लखनपुर थाना क्षेत्र के पलसाड़ा गांव से बचाया गया। यह जगह उसके गांव से करीब 30 किलोमीटर दूर है। स्थानीय लोगों ने बताया कि महिला की चीख सुनकर मछुआरों ने उसे बचाया। एक मछुआरे ने बताया, ‘जब हमारे दोस्त महानदी में मछली पकड़ रहे थे, तो उन्होंने किसी को मदद के लिए चिल्लाते हुए सुना।’
‘महिला अपने पति से अलग अपने मायके में रह रही थी’
मछुआरे ने बताया, ‘मेरे दोस्तों ने तुरंत महिला को बचाया, उसे खाना दिया और बाद में पुलिस को सौंप दिया।’ सरोजिनी का भाई उसे वापस लेने आया और उसने दावा किया कि सरोजिनी अपने पति से अलग होने के बाद उसके परिवार के साथ रह रही थी। भाई ने दावा किया, “वह मानसिक बीमारी से पीड़ित थी, जिसके कारण हमने उसके पैरों को बेड़ियों से बांध दिया था। वह किसी तरह नदी में गिर गई और बह गई।” झारसुगुड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक परमार स्मित पुरुषोत्तमदास ने कहा कि नदी से बचाए जाने के बाद महिला की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच की गई और उसकी हालत ठीक है।