पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में छिड़े खूनी संघर्ष में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से ज्यादा लोग घायल हैं। कुर्रम जिले में दो जनजातियों के बीच शुरू हुई लड़ाई अब शिया बनाम सुन्नी बन गई है और आस-पास के इलाकों में फैल गई है। अकेले 28 जुलाई की रात को हुई हिंसक झड़पों में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। अब तक जान गंवाने वालों में 35 शिया समुदाय से हैं, जबकि 8 सुन्नी हैं।
खूनी संघर्ष क्यों शुरू हुआ?
लड़ाई कुर्रम के मुख्यालय पारा चिनार के बाहरी इलाके बुशहरा खैबर से शुरू हुई। यहां जमीन के एक टुकड़े के लिए दो जनजातियों के बीच कई दशकों से संघर्ष चल रहा है। गुलाब मिल्ली खेल और मदकी काले नामक जनजातियां 100 कनाल जमीन के लिए सालों से लड़ रही हैं। इस बार भी ये दोनों जनजातियां आमने-सामने हैं। इनमें से गुलाब मिल्ली खेल शिया समुदाय का है, जबकि मदकी काले सुन्नी समुदाय का संगठन है।
पिछले साल भी हुआ था खूनी संघर्ष
यह पहली बार नहीं है कि इस जमीन के टुकड़े को लेकर खूनी संघर्ष हुआ हो। पिछले साल भी यहां सशस्त्र संघर्ष हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के कम से कम आधा दर्जन लोगों की जान चली गई थी। उस समय एक शांति समझौता हुआ था, जिसमें यह तय हुआ था कि ‘भूमि आयोग’ राजस्व विभाग के कागजात देखने के बाद जमीन का फैसला करेगा और सभी को उसका पालन करना होगा।
जिस समझौते की वजह से इस बार विवाद हुआ
भूमि आयोग ने दस्तावेजों के आधार पर तय किया कि जमीन का मालिकाना हक गुलाब मिल्ली खेल जनजाति के पास ही रहेगा। हालांकि, उस समय एक और लिखित समझौता हुआ था, जिसमें तय हुआ था कि मिल्ली खेल अगले एक साल तक इस जमीन का इस्तेमाल नहीं करेगा। तय हुआ था कि एक साल तक कोई तीसरी जनजाति इस जमीन का इस्तेमाल करेगी और गुलाब मिल्ली खेल को इसका किराया देगी। एक साल बाद गुलाब मिल्ली खेल इस जमीन को जिसे चाहे ठेके पर दे सकता है या खुद इसका इस्तेमाल कर सकता है।
इस समझौते के मुताबिक गुलाब मिल्ली खेल जमीन के इस्तेमाल के बदले एक साल तक तीसरे पक्ष से किराया लेता रहा। एक साल बाद जब जमीन खाली करने की बारी आई तो झगड़ा शुरू हो गया और एक बार फिर दोनों जनजातियां आमने-सामने आ गईं।
कैसे दो जनजातियों के बीच विवाद शिया-सुन्नी का हो गया
अब यह लड़ाई दो जनजातियों से आगे बढ़कर शिया और सुन्नी का हो गई है। मडगी काले जनजाति का आरोप है कि मामले को बढ़ाने के लिए गुलाब मिल्ली खेल ने बुशहरा में स्थित दूसरे गांव पर हमला किया। जिसके बाद अहले सुन्नत के लोग नाराज हो गए। वहीं गुलाब मिल्ली खेल कबीले का आरोप है कि मडगी कबीले ने मामले को सांप्रदायिक रंग दिया और अहले सुन्नत को मदद के लिए बुलाया। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुशहरा पारा चिनार के बाहरी इलाके में स्थित है और इसके आसपास अहले सुन्नत की बड़ी आबादी है। अब उन्होंने पारा चिनार इलाकों पर हमला करना शुरू कर दिया है।