आपने अक्सर सुना होगा कि विदेशों में ट्रक कई सुविधाओं से लैस होते हैं। ऐसे कई वीडियो वायरल होते रहते हैं, जिनमें ट्रक ड्राइवर एसी, टीवी और रेफ्रिजरेटर से लैस ट्रक चलाते नजर आते हैं। यह भी सच है कि पश्चिमी देशों में ट्रक ड्राइवरों को भारत के ट्रक ड्राइवरों से कहीं बेहतर सुविधाएं दी जाती हैं, जबकि भारत में ट्रक ड्राइवरों की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। भारत में ट्रकों में एसी जैसी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इस अहम मुद्दे पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी चिंता जताई थी।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत जैसे गर्म देश में कंपनियां एसी वाले ट्रक क्यों नहीं बनाती हैं और आज के समय में भी एसी को लग्जरी फीचर क्यों माना जाता है? दरअसल कंपनियों के ऐसा करने के पीछे दो बड़ी वजह हैं, आइए जानते हैं।
एसी से तेल की खपत बढ़ेगी
ट्रांसपोर्टेशन में डीजल की कीमत सामान की कीमतों को निर्धारित करती है। ट्रांसपोर्ट कंपनियां अक्सर डीजल की कीमत कम करने की कोशिश करती हैं, ताकि ज्यादा बचत की जा सके। अगर ट्रक में एसी चलाया जाए, तो तेल की कीमत 3-4% बढ़ जाएगी।
ट्रक चलाने की कीमत का 60% ईंधन की कीमत होती है। ऐसे में अगर ड्राइवर लंबी दूरी की यात्रा में एसी का इस्तेमाल करता है तो डीजल की खपत बढ़ेगी और ट्रांसपोर्ट कंपनियों का खर्च बढ़ेगा। बाजार में एसी वाले कुछ ट्रक मॉडल भी उपलब्ध हैं लेकिन उनकी बिक्री बहुत कम है।
एसी ट्रक ज्यादा महंगे होते हैं
एयर कंडीशन (एसी) फीचर वाले ट्रकों की कीमत भी आम ट्रकों से ज्यादा होती है। एसी ट्रकों की कम बिक्री का यह भी एक कारण है। अगर ट्रक नहीं बिकते तो डीलर का स्टॉक बढ़ने लगता है और कंपनियों को नुकसान होता है। बाजार में मांग न होने की वजह से कंपनियां एसी ट्रक के कुछ ही मॉडल लॉन्च करती हैं।