Tuesday, February 11, 2025
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थोक महंगाई नहीं छोड़ रही पीछा! लगातार चौथे महीने बढ़ी, खाने-पीने की चीजों ने बढ़ाई परेशानी

एक तरफ रिजर्व बैंक और सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी तरफ खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को आसमान पर पहुंचा दिया है। पहले खुदरा महंगाई ने परेशान किया और अब थोक महंगाई दर में भी लगातार चौथे महीने बढ़ोतरी हुई है। जून में थोक मूल्य वृद्धि दर 3.36 फीसदी रही। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी रही। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 फीसदी थी, जो एक महीने बाद जून में बढ़कर 3.36 फीसदी हो गई। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 फीसदी नीचे थी। यानी तब थोक महंगाई बढ़ने के बजाय लगातार घट रही थी।

खाद्य वस्तुओं ने बढ़ाया बोझ

मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में बढ़ोतरी रही है। आंकड़ों के अनुसार जून में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी।

प्याज ने खूब रुलाया

जून में सब्जियों की महंगाई दर 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। जून में दालों की महंगाई दर 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में महंगाई दर 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ा कम है। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी।

थोक और खुदरा दोनों तरह की महंगाई बढ़ी

जून में थोक मूल्य सूचकांक में बढ़ोतरी महीने के खुदरा महंगाई के आंकड़ों के अनुरूप ही रही। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा महंगाई चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है। ऐसे में अगस्त में होने वाली एमपीसी बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना एक बार फिर खत्म हो गई है।

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