Friday, November 22, 2024
HomeभारतVideo: जंगल में फंसे 6 आदिवासियों के लिए देवदूत बने वन अधिकारी,...

Video: जंगल में फंसे 6 आदिवासियों के लिए देवदूत बने वन अधिकारी, कई दिनों से भूखे थे बच्चे

केरल के वायनाड में वन विभाक के अधिकारियों ने 6 आदिवासियों की जान बचाई जो कि जंगल में बगैर कुछ खाए-पिए कई दिनों से फंसे हुए थे।

वायनाड: वन विभाग के अधिकारियों ने वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन के बीच जंगल में फंसे एक आदिवासी परिवार को बचाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वन विभाग के अधिकारियों द्वारा बचाए गए छह आदिवासियों में चार मासूम बच्चे भी शामिल हैं। कलपेट्टा रेंज के वन अधिकारी के. हशीश के नेतृत्व में चार लोगों की एक टीम ने गुरुवार को एक आदिवासी परिवार को बचाने के लिए जंगल के अंदर खतरनाक रास्तों पर कदम रखा। वायनाड के पनिया समुदाय से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार एक पहाड़ी पर स्थित एक गुफा में फंसा हुआ था, जिसके साथ एक गहरी खाई जुड़ी हुई थी।

‘जंगल के पास भूखे-प्यासे मिले थे महिला और उसका बच्चा’

बहुत ही खतरनाक स्थिति में फंसे इस परिवार में एक से 4 साल की उम्र तक के 4 बच्चे भी थे। वन अधिकारियों की टीम को गुफा तक पहुंचने में 4.5 घंटे से अधिक समय लग गया। हशीस ने शुक्रवार को बताया कि उन्हें गुरुवार को एक महिला और 4 साल का बच्चा जंगल के पास मिला था। बता दें कि आदिवासी आम लोगों को देखकर डर जाते हैं इसीलिए वन विभाग के जवानों को महिला का विश्वास जीतने में काफी दिक्कत हुई। मां और बेटा 3 दिन से भूखे थे जिसके बाद वन कर्मियों ने उन्हें ब्रेड दिया और फिर एक जवान ने मासूम को अपने कलेजे से बांध लिया।

‘भारी बारिश और लैंडस्लाइड के चलते खत्म हो गया था खाना’

महिला का भरोसा जीतने के बाद जब उससे पूछताछ की गई तो दिल दहला देने वाली सच्चाई सामने आई। पता चला कि महिला के 3 और बच्चे और उसका पिता एक गुफा में फंसे हुए हैं और उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है। हशीस ने बताया कि परिवार आदिवासियों के एक विशेष वर्ग से ताल्लुक रखता है, जो आमतौर पर बाहरी लोगों से घुलना-मिलना पसंद नहीं करता। उन्होंने कहा, ‘वे आम तौर पर जंगल से मिली चीजों पर निर्भर रहते हैं और उन चीजों को लोकल मार्केट में बेचकर चावल खरीदते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि भूस्खलन और भारी बारिश के कारण उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा था।’

‘बच्चे काफी सहमे और थके हुए थे, उन्हें लेकर हम वापस आए’

वन रेंज अधिकारी ने आदिवासी परिवार को बचाने के लिए चलाये गए खतरों से भरे बचाव अभियान का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्हें भारी बारिश के बीच, फिसलन भरी और खड़ी चट्टानों पर चढ़ाई करनी पड़ी। हशीस ने कहा,‘बच्चे काफी सहमे और थके हुए थे, हम जो कुछ भी साथ ले गए थे उन्हें खाने के लिए दिया। काफी समझाने-बुझाने के बाद उनके पिता हमारे साथ आने के लिए राजी हो गए। हमने बच्चों को अपने शरीर से बांध लिया और नीचे उतरना शुरू कर दिया।’ वे अट्टमाला दफ्तर में आए, जहां बच्चों को खाना खिलाया गया और कपड़े तथा जूते दिए गए।

आदिवासी परिवार को बचाने के लिए 7 किमी चले थे अफसर

अधिकारी ने कहा कि फिलहाल उन्हें अट्टामला के दफ्तर में ही रखा गया है और बच्चे अब सुरक्षित हैं। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक अधिकारी द्वारा एक बच्चे को गोद में उठाए जाने का दृश्य वायरल हो गया। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोशल मीडिया पर वन अधिकारियों के बहादुरी भरे इस कारनामे की प्रशंसा की। हशीस के साथ, खंड वन अधिकारी बी. एस. जयचंद्रन, बीट वन अधिकारी के अनिल कुमार और त्वरित प्रतिक्रिया दल ​​के सदस्य अनूप थॉमस ने आदिवासी परिवार को बचाने के लिए 7 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की।

RELATED ARTICLES

Most Popular