Friday, November 22, 2024
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2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य, ₹30.5 लाख करोड़ के निवेश की जरूरत, 34 लाख नौकरियां पैदा होंगी

भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को 2014 से 2023 के बीच 8.5 लाख करोड़ रुपये (102.4 बिलियन डॉलर) का नया निवेश प्राप्त हुआ, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को अप्रैल 2000 से मार्च 2024 तक 17.88 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्राप्त हुआ।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024: भारत को 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 30.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। सोमवार को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, इसे हासिल करने के लिए वित्त जुटाने के साथ-साथ निवेश और प्रतिस्पर्धी शर्तों पर भूमि अधिग्रहण के मुद्दों को हल करना आवश्यक है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2024 से 2030 के बीच भारत में अक्षय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र में करीब 30.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है। समीक्षा के अनुसार, इससे पूरी मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर पैदा होंगे।

9 साल में 8.5 लाख करोड़ का निवेश मिला

समीक्षा में कहा गया है कि भारत में स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र को 2014 से 2023 के बीच 8.5 लाख करोड़ रुपये (102.4 बिलियन डॉलर) का नया निवेश मिला, जबकि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को अप्रैल 2000 से मार्च 2024 के बीच 17.88 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला। आर्थिक समीक्षा ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धी शर्तों पर आवश्यक वित्त और निवेश जुटाने के लिए बैंकिंग क्षेत्र को तैयार करने पर जोर दिया है। भूमि अधिग्रहण के संबंध में सर्वेक्षण में अक्षय ऊर्जा क्षमता वाली भूमि की पहचान, उसका रूपांतरण (यदि आवश्यक हो), भूमि सीलिंग अधिनियम से मंजूरी, भूमि पट्टा किराया पर निर्णय, राजस्व विभाग से मंजूरी और इस तरह की अन्य मंजूरी का संकेत दिया गया है।

राज्य सरकारों को निभानी चाहिए अहम भूमिका

यह सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारों को अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में अहम भूमिका निभानी चाहिए। वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के मद्देनजर ये सुझाव महत्वपूर्ण हैं। भारत ने वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से बिजली उत्पादन के लिए कुल स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। समीक्षा में कहा गया है कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की राष्ट्रीय विद्युत योजना के अनुसार, वर्ष 2023-24 में कुल स्थापित क्षमता 441.9 गीगावाट में से गैर-जीवाश्म ईंधन (जलविद्युत, परमाणु, सौर, पवन, बायोमास, लघु जलविद्युत, पंप स्टोरेज पंप) आधारित क्षमता लगभग 203.4 गीगावाट (कुल का 46 प्रतिशत) है।

34 लाख रोजगार सृजित हो सकते हैं

गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता वर्ष 2026-27 में 349 गीगावाट (57.3 प्रतिशत) और वर्ष 2029-30 में 500.6 गीगावाट (64.4 प्रतिशत) तक बढ़ने का अनुमान है। समीक्षा के अनुसार, भारत के हरित परिवर्तन से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसमें कहा गया है, “स्वच्छ ऊर्जा पहल 2030 तक 238 गीगावाट सौर और 101 गीगावाट नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करके और 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता प्राप्त करके लगभग 3.4 मिलियन नौकरियां (अल्पकालिक और दीर्घकालिक) पैदा कर सकती हैं।”

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