Thursday, November 21, 2024
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सूर्यकुमार या हार्दिक पांड्या, क्या गौतम गंभीर के पहले बड़े फैसले का हो रहा विरोध, क्यों हो रही टीम चुनने में देरी

भारत को दौरे पर जाने के 10 दिन बाद टी20 मैच खेलना है लेकिन टीम की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। टीम इंडिया के चयन में हो रही देरी कई सवाल कर रही है. गौतम गंभीर के हेड कोच बनने का क्या है असर? रोहित शर्मा के टी20 संत के बाद नए कैप्टन फोटोग्राफरों में क्या उलझन है? नए कैप्टन और हेड कोच का भी कोई कोम्पोट नहीं है, जो खिलाड़ी संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। क्रिकेट के खिलाड़ियों के बीच नए कप्तान और प्रमुख कोच के स्कोर की बात ही सच के सबसे करीब लग रही है। आइये जानते हैं कैसे.

भारतीय टी20 टीम के कैप्टन के तौर पर हार्दिक पंड्या की पहली पसंद है। पंड्या का दावा भी बेहद स्वाभाविक है. वे टी20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के उप कप्तान थे। कैप्टन (रोहित शर्मा) के संत के बाद उप कैप्टन का दावा सबसे पहले होता है। विशेष रूप से, यदि उस खिलाड़ी को दो साल पहले यही हैशटैग उप कप्तान बनाया गया था तो वह कप्तान को रिप्लेस करना चाहता था।

काबिलियत साबित कर चुकी हैं पंड्या हैप्पी पंड्या 16 टी20 मैचों में भारत की ओर से क्रूज़ कर चुके हैं। आईपीएल में नई नवेली टीम गुजरात टाइटंस को चैंपियन बना अपनी काबिलियत का सबूत दे चुकी है। मुंबई इंडियंस ने गुजरात टाइटन्स से इस खिलाड़ी को किया ट्रेड। टीम में कर्मचारी की बात करें तो क्रिसमस के मौके पर कोई भी प्लेयर नहीं आया। वे देश के सबसे अनोखे स्थान हैं, जो किसी भी कच्चे और किसी भी मैदान पर खेलने के लिए उपयुक्त होते हैं।

सूर्यकुमार का नाम अचानक उभरा

फाइनल जब हैप्पी पंड्या पंडितों के जरूरी पैग सभी लोगों पर खरे हैं, तो उन्हें कैप्टन बनने से कौन रोक रही है बात। इसी उत्तर को खोजने के लिए गौतम गंभीर का नाम उभरता है। एसोसिएशन के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले दिनों तक वैज्ञानिकों की रेस में पंड्या सबसे आगे थे। एक तरह से नौकरानी पसंद भी थे. लेकिन इस रेस में सूर्यकुमार का नाम रहस्यमय और तेज-तर्रार खोजा गया है। वे डार्क हॉर्स साबित हो सकते हैं।

पंड्या की चोट का इतिहास पुराना है

माना जा रहा है कि गौतम गंभीर टी20 टीम के लिए हार्दिक पंड्या की जगह सूर्यकुमार यादव का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। इसके पीछे कोई राजनीति नहीं है। गंभीर ऐसा कप्तान चाहते हैं, जिसके टी20 विश्व कप 2026 में खेलने पर संदेह न हो। गंभीर इस रेस में सूर्या को पंड्या से आगे देखते हैं। इसकी वजह पंड्या का खेल नहीं, बल्कि उनका चोट का इतिहास है। चोट के कारण पंड्या आईपीएल के साथ-साथ विश्व कप से भी हट चुके हैं। टीम प्रबंधन से लेकर क्रिकेट प्रशंसकों तक सभी को यह बात पता है। यही वजह है कि चयनकर्ता पंड्या को लेकर सतर्क रहते हैं और उन्हें सिर्फ बड़े मैचों में ही उतारा जाता है।

केकेआर के लिए एक साथ खेले गंभीर और सूर्या

कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ गौतम गंभीर और सूर्यकुमार का कनेक्शन भी इस समीकरण का एक पहलू है। सूर्यकुमार यादव पहली बार केकेआर के लिए खेलते हुए चर्चा में आए थे। तब गौतम गंभीर टीम के कप्तान थे। कहा जाता है कि गौतम ने ही सूर्या को स्काई नाम दिया था। गौतम का यही भरोसा अब सूर्या को कप्तानी की रेस में आगे कर रहा है। लेकिन बात सिर्फ भरोसे की नहीं है। सूर्यकुमार यादव रणजी से लेकर विजय हजारे ट्रॉफी तक मुंबई की कप्तानी करते हैं। उनके पास कप्तानी का काफी अनुभव है, जो टीम इंडिया के काम आ सकता है।

कोच नए कप्तान के साथ सहज होते हैं

चोट के डर, टीम संयोजन, अनुभव के अलावा एक और बात है, जिसके बारे में कोई जानबूझकर बात नहीं करना चाहता। यह बात है टीम में नए कोच के आने और पहचान बनाने की, जो अपनी खुद की योजना लेकर आ रहा है। कोच बनने से पहले गंभीर ने क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) को भविष्य की योजना के बारे में जरूर बताया होगा। अब चाहे टीम इंडिया हो या कोई और, कप्तान नया हो तो किसी भी नए कोच के लिए योजना को लागू करना और करवाना आसान होता है। अगर कप्तान पुराना, दबंग और सफल है, तो कोच उस पर हावी नहीं हो पाता। तब कोच सलाहकार या बड़े भाई की भूमिका में होता है। अब यह जरूरी नहीं है कि हर कोच सलाहकार या बड़ा भाई बनना चाहे। हमने भारतीय क्रिकेट में दो तरह के अनुभव देखे हैं। गैरी कर्स्टन से लेकर रवि शास्त्री और राहुल द्रविड़ तक, जो बड़े भाई की भूमिका में खुश हैं। वे पर्दे के पीछे काम करते हैं। दूसरे हैं ग्रेग चैपल, जो कप्तान पर हावी रहने वाले क्लब कोच हैं। हम सभी ने देखा है कि चैपल के कार्यकाल में तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनकी उनसे उम्मीद नहीं थी।

कोच गंभीर को पता है कि कप्तान पर कैसे हावी होना है

कोच या मेंटर के तौर पर गौतम गंभीर आज भी चैपल की शैली के करीब नजर आते हैं। जब वे लखनऊ सुपरजाइंट्स के कोच थे, तब वे दूसरे कोचों से ज्यादा सक्रिय रहते थे। डगआउट में बैठे गंभीर खिलाड़ियों पर गुस्सा करते नजर आते थे। एक बार तो वे उठकर विरोधी टीम के एक खिलाड़ी से लड़ने चले गए, जो दिल्ली की टीम से उनका जूनियर (विराट कोहली) भी है। कोलकाता नाइट राइडर्स में भी गौतम गंभीर ने कप्तान श्रेयस अय्यर से ज्यादा खिताबी जीत का श्रेय लिया था। ऐसे में यह मानना ​​गलत नहीं होगा कि गंभीर को कप्तानी के लिए ऐसे खिलाड़ी का नाम आगे करना चाहिए, जो उनकी ज्यादा सुनता हो। भारतीय क्रिकेट बोर्ड इसी दुविधा में फंसा हुआ है। एक तरफ हार्दिक पांड्या के पास जायज हक है तो दूसरी तरफ नए कोच की अपनी पसंद। देखना यह है कि बोर्ड इस उलझन का क्या हल निकालता है।

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