Friday, October 18, 2024
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सेम सेक्स मैरिज केस: जस्टिस संजीव खन्ना ने सुनवाई से खुद को अलग किया, अब CJI चंद्रचूड़ बनाएंगे नई बेंच

समलैंगिक विवाह से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट आया है। सुप्रीम कोर्ट आज 10 जुलाई को अपने पिछले साल के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर विचार करने वाला था, जिसमें समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया गया था। लेकिन यह सुनवाई टल गई। सुप्रीम कोर्ट के चैंबर में यह सुनवाई इसलिए टल गई क्योंकि जस्टिस संजीव खन्ना ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया। अब CJI डीवाई चंद्रचूड़ नई बेंच बनाएंगे। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच पिछले साल 17 अक्टूबर के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिकाओं पर अपने चैंबर में विचार करने वाली थी। परंपरा के मुताबिक, रिव्यू पिटीशन पर जज अपने चैंबर में ही विचार करते हैं। लेकिन हाल ही में ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग की गई। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा बेंच के अन्य सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा हैं। लेकिन अब संजीव खन्ना ने खुद को इससे अलग कर लिया है।

दरअसल, समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 17 अक्टूबर को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून द्वारा मान्यता प्राप्त विवाहों के अलावा किसी अन्य तरीके से विवाह करना कानूनी रूप से सही नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि इस संबंध में कानून बनाना संसद का काम है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक लोगों के लिए समान अधिकार और सुरक्षा को मान्यता दी और आम जनता से इस संबंध में संवेदनशील होने का आह्वान किया ताकि उन्हें भेदभाव का सामना न करना पड़े।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और एन.के. कौल ने मंगलवार को इस मामले का उल्लेख किया था और मुख्य न्यायाधीश से खुली अदालत में समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई करने का आग्रह किया था। कौल ने कोर्ट से कहा, ‘मैं कहता हूं कि क्या इन याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई हो सकती है…’ इस पर मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा कि ये संविधान पीठ द्वारा समीक्षा किए जाने वाले मामले हैं, जिन्हें चैंबर में सूचीबद्ध किया गया है। परंपरा के अनुसार, समीक्षा याचिकाओं पर न्यायाधीश चैंबर में विचार करते हैं।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली 21 याचिकाओं पर चार अलग-अलग फैसले सुनाए थे। सभी पांच न्यायाधीश विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से इनकार करने में एकमत थे। पीठ ने कहा था कि इस तरह के रिश्ते को वैध बनाने के लिए कानून में संशोधन करना संसद के अधिकार क्षेत्र में है।

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