वायदा एवं विकल्प सौदों में निवेशकों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सेबी अब सख्त नियम लागू करने की तैयारी कर रहा है। इस संदर्भ में सेबी ने अपने परामर्श पत्र पर हितधारकों से सुझाव मांगे हैं।
साल 2020 यानी कोरोना महामारी के बाद शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। नए निवेशकों ने मोटी कमाई के लिए शेयर बाजार में कदम रखा। यह सिलसिला अभी भी जारी है। हालांकि, कई निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सबसे बड़ा नुकसान फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) में निवेश करने वाले निवेशकों को हुआ है। छोटे निवेशक इसे पूरी तरह से सट्टेबाजी की तरह इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें करोड़ों का नुकसान हुआ है। सेबी के मुताबिक, हर साल निवेशकों को F&O में 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
डेरिवेटिव्स व्यापार में भारी नुकसान
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा कि भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को एक साल में डेरिवेटिव्स व्यापार में करीब ₹60,000 करोड़ का नुकसान हो रहा है। अगर एक साल में घरेलू बचत से ₹50-60,000 करोड़ निकलकर एफएंडओ (वायदा और विकल्प) सेगमेंट में डूब रहे हैं, तो इस पैसे का सही इस्तेमाल आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या शायद अर्थव्यवस्था में किया जा सकता है। एनएसई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बुच ने कहा कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है। इस पर समय रहते काबू पाने की जरूरत है। गौरतलब है कि सेबी प्रमुख से लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तक वायदा और विकल्प में बढ़ते सौदे पर चिंता जता चुके हैं। सेबी के आंकड़ों के मुताबिक वायदा और विकल्प में निवेश करने वाले 10 में से 9 निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वायदा और विकल्प पर सख्ती की तैयारी
वायदा और विकल्प सौदों में निवेशकों को हो रहे नुकसान को देखते हुए सेबी अब सख्त नियम लागू करने की तैयारी कर रहा है। इस संदर्भ में सेबी ने अपने परामर्श पत्र पर हितधारकों से सुझाव मांगे हैं। सेबी ने अपने परामर्श पत्र में साप्ताहिक समाप्ति को तर्कसंगत बनाने, दिन के कारोबार के दौरान सौदों की गुंजाइश की निगरानी करने, कीमतों को उचित बनाने, एफएंडओ सौदों के निपटान के दिन कैलेंडर स्प्रेड लाभ को हटाने और निकट अनुबंध समाप्ति मार्जिन को बढ़ाने जैसे उपायों का प्रस्ताव दिया है। सेबी ने इन प्रस्तावों पर 20 अगस्त तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।