साउथ कोरिया में डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। दक्षिण कोरियाई सरकार ने अब फैसला लिया है कि वह हड़ताल कर रहे चिकित्सकों के लाइसेंस निलंबित नहीं करेगी।
सियोल: दक्षिण कोरिया ने सोमवार को कहा कि वह देश में लंबे समय से चिकित्सकों के साथ जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए, हड़ताल कर रहे चिकित्सकों के लाइसेंस निलंबित करने की अपनी पहले की योजना वापस लेगा। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार की घोषणा के बाद, हड़ताल कर रहे कितने हजार चिकित्सक काम पर लौटेंगे। स्वास्थ्य मंत्री चो क्यो होंग ने सोमवार को कहा कि सरकार ने हड़ताल कर रहे चिकित्सकों के लाइसेंस निलंबित ना करने का फैसला किया है, चाहे वे अपने अस्पतालों में काम पर लौटें या नहीं।
अस्पतालों के कामकाज पर पड़ा असर
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार के फैसले का उद्देश्य आपातकालीन तथा गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्सकों की कमी से निपटना है। चिकित्सा प्रशिक्षु और रेजीडेंट के तौर पर काम कर रहे 13,000 से अधिक जूनियर चिकित्सक मेडिकल कॉलेज में दाखिलों में वृद्धि करने की सरकार की योजना के विरोध में फरवरी से हड़ताल पर हैं। उनकी हड़ताल से अस्पतालों के कामकाज पर काफी असर पड़ा है।
सरकार के समर्थन में कोर्ट का फैसला
हड़ताल को उस समय झटका लगा जब मई में सियोल की एक अदालत ने सरकार की योजना के समर्थन में फैसला दिया था। सरकार ने बाद में अपने अस्पतालों में काम पर लौटने वाले चिकित्सकों के लाइसेंस निलंबित करने की अपनी योजना वापस ले ली थी लेकिन काम पर ना लौटने वाले चिकित्सकों के लिए ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था। अधिकारियों का कहना है कि सरकार देश में तेजी से बुजुर्ग हो रही आबादी और ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों की कमी से निपटने के लिए 2035 तक 10,000 चिकित्सकों की भर्ती करना चाहती है।
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चिकित्सकों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज छात्रों की बेतहाशा वृद्धि से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं और इससे आखिरकार देश की चिकित्सा सेवाओं पर असर पड़ेगा। लेकिन आलोचकों का कहना है कि दक्षिण कोरिया में सबसे ज्यादा कमाई वाले पेशे में से एक, चिकित्सक मुख्यत: इस बात से चिंतित हैं कि और चिकित्सकों के आने से उनकी आय कम होगी।