हिन्दू धर्म में कई वृक्षों को पूजनीय माना जाता है। प्रोटोकाल पूजा एक तय समय पर की जाती है। ध्यान दें, भगवान शिव का प्रिय सावन चल रहा है और इस दौरान भक्तों का तांता पुजारी में लगा रहता है। शिव भक्ति में डूबे भक्त अपने भगवान को मनाने के लिए तरह-तरह की पूजा और भजन कीर्तन करते हैं। वहीं इसी महीने में बरगद के पेड़ की पूजा भी की जाती है। ऐसा ही एक सिद्धांत है कि, बरगद के पेड़ में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। ऐसे में इस पेड़ की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जातक के सभी काम सफल होते हैं। आज हम जानेंगे भोपाल निवासी ज्योतिष एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से बरगद के पेड़ की पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, पूजा विधि और पूजा के दौरान बोले जाने वाले मंत्रों के बारे में।
बरगद के पेड़ की पूजा सामग्री इस पेड़ की पूजा करने से पहले अपने पास रोली, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीप, कपूर, मेवा, मिठाई, कलावा, इलायची और कुछ दक्षिणा रख लें।
पूजा करने की इस विधि से – पूजा करने से पहले बरगद के पेड़ को जल से स्नान कराएं।
– इसके बाद पेड़ के तने को कलावा से बांधें और एक स्वच्छ कपड़े से बढ़ाएं।
– अब पेड़ को रोली, चंदन और अक्षत का तिलक धागा.
– इसके बाद धूप, दीप और कपूर जलाएं और भोग रूम।
– इसके बाद 7 या 11 बार वट वृक्ष की प्रशंसा करते हुए कच्चे सूत लपेटते रहे।
– बरगद के पेड़ की आरती करें.
– वट सावित्री व्रत की कथा वट वृक्ष के नीचे ही देखें।
– इसके बाद दक्षिणा सुरक्षित करें.
– अंतिम रूप से सभी को प्रसाद वितरण करें।
बरगद की पूजा का महत्व बरगद के पेड़ में त्रिदेव अर्थात भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश का वास होता है। एक साथ पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें
ॐ नमो वट वृक्षाय त्रिदेवाय सम्मोहिताय.
जटाधराय ब्रह्मरूपाय नमः..
ॐ पतिव्रताय सावित्र्यै पतिव्रताय अरुंधती.
पतिव्रताय लोपामुद्राय नमः..
ॐ वट वृक्षाय नमः.