सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को प्रिय होता है. इस पूरे महीने में लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं, लोग 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करते हैं. शिव मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. संकटों से मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है. लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कांवड़ यात्रा भी करते हैं. शिव भक्त अपने भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए हर संभव प्रयास और उपाय करते हैं. इस साल सावन का महीना 22 जुलाई, सोमवार से शुरू हो रहा है. सावन में भगवान शिव की पूजा कैसे करें? शिव पूजा का नियम क्या है? आइए जानते हैं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्रा से इस बारे में.
सावन में शिव पूजा के नियम
1. सावन का महीना शुरू होते ही मांस, मदिरा, नशीले पदार्थ, लहसुन, प्याज आदि तामसिक चीजों का सेवन न करें. सावन के पूरे महीने में सात्विक भोजन करना चाहिए. पूजा से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए. 2. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, आक के फूल, सफेद फूल, कमल, मौसमी फल, शहद, चीनी, गंगाजल, गाय का दूध, धूप, दीप, सुगंध, नैवेद्य आदि आवश्यक हैं।
3. महादेव की पूजा में तुलसी के पत्ते, हल्दी, केतकी के फूल, सिंदूर, शंख, नारियल आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शिव पूजा में ये सभी चीजें वर्जित हैं।
4. सावन के सोमवार, प्रदोष व्रत और शिवरात्रि का व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। ये तीनों ही दिन शिव की कृपा पाने के लिए विशेष माने गए हैं।
5. शिव मंत्रों का जाप करें। आप चाहें तो सामान्य पूजा में ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव शंकर की आरती करें। आरती करने से पूजा के दोष दूर होते हैं।