Thursday, November 21, 2024
Homeधर्मसावन में करें दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन, यहां बिना अरघा के प्रकट...

सावन में करें दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन, यहां बिना अरघा के प्रकट हुए महादेव, खाली हाथ नहीं लौटते भक्त

मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मुराद साल भर के अंदर पूरी हो जाती है. सावन के पावन महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. झारखंड के देवघर में विराजमान बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने बाद अधिकांश श्रद्धालु यहां आते हैं.

पलामू: सावन में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. शिवालयों में भी खूब भीड़ उमड़ती है. इस बार सावन 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार का सावन बेहद खास है, क्योंकि इसकी शुरुआत सोमवार से हो रही है. तो अगर आप भी सावन के पहले दिन पलामू में महादेव का जलाभिषेक करना चाहते हैं तो इस दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन जरूर करें. मान्यता है कि यहां जलाभिषेक से बिगड़े काम बन जाते हैं.

दरअसल, पलामू प्रमंडल अंतर्गत गढ़वा जिले में बाबा खोनहरनाथ विराजमान हैं. यह मंदिर सालों पुराना है. मंदिर की मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मुराद साल भर के अंदर पूरी हो जाती है. सावन के पावन महीने में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. झारखंड के देवघर में विराजमान बाबा बैद्यनाथ के दर्शन करने बाद अधिकांश श्रद्धालु बाबा खोनहरनाथ के दर्शन करने आते हैं. पूरे झारखंड में यह प्रसिद्ध मंदिर है.

इसलिए पड़ा खोनहरनाथ नाम
मंदिर के पुजारी संतोष तिवारी ने Local 18 को बताया कि यहां आया कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं जाता. बाबा सभी की झोली भरते हैं. सच्चे मन से मांगी हुई हर मुराद को बाबा पूरी कर देते हैं. यहां बाबा बिना अर्घ्य के प्रकट रूप में विराजमान हैं. बताया कि यहां भगवान शिव खो में प्रकट हुए हैं, जिस कारण इसका खोनहरनाथ मंदिर नाम पड़ा. यह मंदिर 500 वर्ष पुराना है, जहां श्रद्धालु दूर-दूर से पूजा करने पहुंचते हैं.

मां गंगा भी विराजमान
आगे बताया कि बाबा खोनहरनाथ के पास 1.5 फीट गहरा गड्ढा है, जिसमें मां गंगा भी विराजमान हैं. यहां अपने आप जल निकलता है, लेकिन आज तक कोई इसका पता नहीं लगा पाया कि ये जल कहां से आता है. बताया कि उनकी 10वीं पीढ़ी यहां पूजा पाठ कर रही है. बताया कि यहां शादी-विवाह के भी कार्यक्रम होते हैं, इसके लिए 1500 रुपये का शुल्क लगता है. यहां झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल के साथ अन्य राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. यहां आने के लिए गढ़वा डाल्टनगंज रूट में तोरण द्वार बनाया गया है. मंदिर परिसर लगभग 3.5 एकड़ में फैला है.

विश्व का चौथा दुर्लभ ज्योर्तिलिंग
पुजारी जी ने आगे बताया कि मंदिर का बड़ा महत्व है. बाहर से आए साधु-बाबा ने इसे चौथा दुर्लभ ज्योतिर्लिंग कहा है. बाबा भोलेनाथ मानसरोवर, कैलाश और अमरनाथ के बाद बाबा खोनहरनाथ का नाम आता है, जो विश्व में केवल यहां मौजूद हैं. इस वजह से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
vishv ka chautha durlabh jyortiling

RELATED ARTICLES

Most Popular