आज रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि है। इस खास मौके पर उनकी कहानियों को याद करना स्वाभाविक है। उनकी शानदार लेखनी की झलक भारतीय फिल्मों में भी देखने को मिली है। हम आपके लिए रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियों पर बनी दमदार फिल्मों की सूची लेकर आए हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर अपनी लेखनी के लिए जाने जाते हैं। वह अपनी कहानियों के जरिए सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए जाने जाते थे। भारत के राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर ने कविता, साहित्य, नाटक और संगीत समेत कई क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा से देश का नाम रोशन किया। रवींद्रनाथ टैगोर की सशक्त लेखनी की झलक भारतीय फिल्मों में भी देखी जा सकती है। भारतीय सिनेमा में कई फिल्में और टीवी सीरियल उनकी कहानियों पर आधारित हैं। सिल्वर स्क्रीन पर दिखाई गई इन कहानियों को दर्शकों का खूब प्यार भी मिला। वैसे खास बात ये है कि रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियों को पर्दे पर लाने का मौका बच्चन परिवार की दो बहुओं को मिला। सास जया बच्चन और बहू ऐश्वर्या राय दोनों ही रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियों की लीड हीरोइन रही हैं। रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियों पर बनी फिल्मों के नाम के साथ-साथ हम आपको ये भी बताएंगे कि किन फिल्मों में ऐश्वर्या और जया के किरदारों को पसंद किया गया।
चोखेर बाली
रवींद्रनाथ टैगोर की लघुकथा पर आधारित रितुपर्णो घोष ने एक फिल्म बनाई थी। वर्ष 2003 में रिलीज हुई इस फिल्म का नाम ‘चोकर बाली’ है। इस फिल्म में ऐश्वर्या राय और राइमा सेन मुख्य भूमिका में नजर आईं थीं। राधिका आप्टे ने भी अहम भूमिका निभाई थी। ऐश्वर्या के किरदार का नाम बिनोदिनी था। युवा विधवा की भूमिका में नजर आईं ऐश्वर्या राय को खूब पसंद किया गया और इस फिल्म को कई बड़े अवॉर्ड भी मिले। आप इस फिल्म को अमेजन प्राइम वीडियो पर देख सकते हैं।
उपहार
फिल्म ‘उपहार’ वर्ष 1971 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई मशहूर कहानी ‘संपति’ पर आधारित थी। इस फिल्म का निर्देशन रॉय सुधेंदु ने किया था। फिल्म में जया बच्चन ने मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में उनकी सादगी और अभिनय दोनों को खूब पसंद किया गया था। फिल्म में रिश्तों की खूबसूरती और गहराई पर जोर दिया गया था। फिल्म में जया के किरदार का नाम मीनू था। यह फिल्म अमेजन प्राइम पर उपलब्ध है।
दो बीघा ज़मीन
‘दो बीघा ज़मीन’ पहली भारतीय फ़िल्म थी जिसने अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था. यह फ़िल्म 1953 में रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म को बिमल रॉय ने बनाया था. फ़िल्म में बलराज साहनी और निरुपमा रॉय ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं. मीना कुमारी ने भी फ़िल्म में ठकुराइन की अहम भूमिका निभाई थी. इस फ़िल्म की कहानी रवींद्रनाथ टैगोर की बंगाली रचना ‘दुई बीघा ज़ोमी’ पर आधारित थी. इस फ़िल्म को आप OTT प्लेटफ़ॉर्म Zee5 और MXPlayer पर देख सकते हैं.
काबुलीवाला
रवींद्रनाथ टैगोर की सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली कहानियों में से एक ‘काबुलीवाला’ है. बिमल रॉय ने इस पर फ़िल्म भी बनाई और फ़िल्म का नाम भी कहानी के हिसाब से ही रखा. यह फ़िल्म 1961 में रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म के मुख्य किरदार के तौर पर बिमल रॉय की पहली पसंद बलराज साहनी को चुना गया था. फ़िल्म का गाना ‘ऐ मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े वतन’ आज भी लोगों में जोश भर देता है. इस फ़िल्म को यूट्यूब पर मुफ़्त देखा जा सकता है.
मिलन
रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाओं पर कई भाषाओं में फिल्में बनी हैं। हिंदी के अलावा बंगाली भाषा में भी उनकी कहानियों पर फिल्में बनाने पर जोर रहा। टैगोर की साहित्यिक रचनाओं ने सत्यजीत रे से लेकर बिमल रॉय तक के फिल्म निर्माताओं को प्रेरित किया। टैगोर की कहानी पर आधारित पहली फिल्म ‘मिलन’ थी। मशहूर निर्देशक नितिन बोस ने साल 1945-46 में यह फिल्म बनाई थी। यह उपन्यास ‘नौका डूबी’ पर आधारित थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार मुख्य भूमिका में थे और यह फिल्म सुपरहिट रही थी।