Friday, October 18, 2024
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जल्द दिखेगी 3D दिल्ली! नालों से लेकर अस्पतालों तक होगा सर्वे, हर जगह उड़ते नजर आएंगे ड्रोन, क्या है मकसद?

12 साल बाद दिल्ली के नक्शे को फिर से अपडेट करने की तैयारी की गई है। इस बार भूमि डेटाबेस तैयार करने के साथ-साथ भूमिगत और ऊपर की इमारतों की 2डी और 3डी तस्वीरें तैयार की जाएंगी, जिनका इस्तेमाल राजधानी में निर्माण से जुड़े विभिन्न विभाग और कंपनियां कर सकेंगी। इस भू-स्थानिक डेटाबेस को तैयार करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।

इस डेटाबेस को तैयार करने के लिए नालों, सीवरों, पानी के पाइप और बिजली लाइनों जैसी भूमिगत संपत्तियों का डेटा एकत्र किया जाएगा। इसी तरह, इमारतों, सीमाओं, बिजली केबलों, बस और मेट्रो नेटवर्क, स्कूल, अस्पताल, बाजार, सामुदायिक भवनों और अन्य धार्मिक संस्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च का डेटा और स्थान भी इस डेटाबेस में एकत्र किया जाएगा।

इसका उद्देश्य क्या है

सरकार ने दिल्ली के भूमि डेटाबेस को फिर से अपग्रेड करने और इसकी 2डी और 3डी छवियों के साथ अधिक सटीक जानकारी अपलोड करने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य गूगल मैप्स या इसी तरह की अन्य इंटरनेट से जुड़ी सेवाओं जैसी एकीकृत एप्लिकेशन सेवाओं को अपडेट करने के साथ-साथ इसकी जानकारी हाई रेजोल्यूशन में उपलब्ध कराना है। इस काम के लिए वर्ष 2008 में जियोस्पेशियल दिल्ली लिमिटेड (जीएसडीएल) नाम की कंपनी बनाई गई थी। अब यह कंपनी नवीनतम तकनीक का उपयोग करके इस डेटाबेस को और अपग्रेड करेगी।

कहां से होगी शुरुआत

मामले से जुड़े अधिकारी का कहना है कि फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। शुरुआत में महरौली, मसूदपुर और रंगपुरी गांवों के 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर किया जाएगा। यह सारा डेटा हाई रेजोल्यूशन के साथ 2डी और 3डी में कवर किया जाएगा। इसका आकार 5 सेमी क्षैतिज और 15 सेमी लंबवत होगा।

कहां होगा इस्तेमाल

डेटाबेस का इस्तेमाल दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों, एजेंसियों और प्राधिकरणों द्वारा विभिन्न एप्लिकेशन मॉड्यूल के साथ किया जाएगा। इस डेटाबेस को तैयार करने में भूवैज्ञानिकों के साथ-साथ आईटी प्रोफेशनल्स भी शामिल होंगे। इस डेटा के आधार पर बसों के रूट तय करने और ड्रेनेज या सीवर सिस्टम को अपग्रेड करने में मदद ली जाएगी। इसके साथ ही इससे दिल्ली के भू-संसाधनों के समुचित उपयोग में भी मदद मिलेगी।

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