भारतीय सेना के शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह इन दिनों चर्चा में हैं। कैप्टन अंशुमान सियाचिन में अपने साथियों की जान बचाते हुए शहीद हो गए थे और हाल ही में उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। इस दौरान उनकी पत्नी की भावुक तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हुईं। हालांकि, इस सम्मान के कुछ दिन बाद ही शहीद के माता-पिता ने अपनी बहू पर कीर्ति चक्र समेत सारा सामान लेकर मायके जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बहू के व्यवहार पर निराशा भी जताई।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कैप्टन की पत्नी स्मृति सिंह को ट्रोल करना शुरू कर दिया। कई लोगों ने उनके इस कदम को सही बताया तो कई लोगों ने उनकी जमकर आलोचना की। सोशल मीडिया पर स्मृति सिंह को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। हालांकि, स्मृति सिंह की फोटो की जगह कई लोगों ने केरल की सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर रेशमा सेबेस्टियन की फोटो शेयर कर उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया और उन्हें जमकर गालियां देनी शुरू कर दीं।
दरअसल, रेशमा का हेयरस्टाइल कैप्टन की पत्नी स्मृति सिंह जैसा है और दोनों की कुछ तस्वीरें भी एक जैसी ही दिखती हैं। इस वजह से ट्रोल्स ने स्मृति सिंह की जगह रेशमा की तस्वीरें शेयर करनी शुरू कर दीं। रेशमा की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं और लोग उन पर भद्दे कमेंट करने लगे। इसके बाद खुद रेशमा को इस बारे में सफाई देनी पड़ी।
मामला बढ़ता देख रेशमा सेबेस्टियन ने अपने इंस्टाग्राम पर बताया कि वह शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी नहीं हैं। उन्होंने लोगों को गलत सूचना और नफरत भरे कमेंट फैलाने से बचने की सलाह दी और कहा कि इसकी भी एक सीमा होती है। पहले इस अकाउंट की प्रोफाइल डिटेल और बायो पढ़ लें। रेशमा ने अपने इंस्टा पर लिखा कि “यह बेतुका है! मेरी पहचान का इस्तेमाल स्मृति सिंह के बारे में गलत जानकारी फैलाने के लिए किया जा रहा है। हम कानूनी कार्रवाई करने जा रहे हैं।
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अब कई लोग जानना चाहते हैं कि कैप्टन की पत्नी जैसी दिखने वाली रेशमा सेबेस्टियन कौन हैं? आपको बता दें कि रेशमा केरल की एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, जो पेशे से इंजीनियर और मॉडल भी हैं। वह अपने पति और बेटी के साथ जर्मनी में रहती हैं। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और वीडियो और तस्वीरें शेयर करती रहती हैं। इंस्टाग्राम पर रेशमा के 3.50 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। वह 2011 से मॉडलिंग कर रही हैं।
पिछले साल जुलाई में सियाचिन में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गई थी। आग लगने के बाद कैप्टन ने पास के टेंट में फंसे अपने साथियों को बचाया, लेकिन इस दौरान वह गंभीर रूप से जल गए और कुछ ही देर बाद शहीद हो गए। पूरे देश ने नम आंखों से उनकी बहादुरी को सलाम किया और कैप्टन की बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत देश के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया।