मजबूत आर्थिक माहौल, सरकार की अनुकूल राजकोषीय नीतियों, निवेशकों के विश्वास और शेयर बाजारों में तेजी के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंडों के प्रति आकर्षण बढ़ा है।
एक समय था जब लोग अपनी बचत बैंक खातों में रखते थे। अब समय बदल गया है। अब लोग अपने बैंक खाते खाली करके म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। शायद इसी का नतीजा है कि बैंक डिपॉजिट में कमी आई है और म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। हर महीने म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ रहा है। आपको बता दें कि जून 2024 को समाप्त तिमाही में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश पांच गुना बढ़कर 94,151 करोड़ रुपये हो गया है। एक साल पहले इसी तिमाही में यह आंकड़ा 18,358 करोड़ रुपये था।
इस वजह से तेजी से बढ़ा निवेश
मजबूत आर्थिक माहौल, सरकार की अनुकूल राजकोषीय नीतियों, निवेशकों के भरोसे और शेयर बाजारों में तेजी के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंडों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक, उद्योग की प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) जून में 59 फीसदी बढ़कर 27.68 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जो एक साल पहले 17.43 लाख करोड़ रुपये थीं।
3 करोड़ बढ़े निवेशक
परिसंपत्ति आधार में मजबूत वृद्धि के साथ ही इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेशकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इस दौरान निवेशक आधार में तीन करोड़ का इजाफा हुआ है और फोलियो की संख्या बढ़कर 13.3 करोड़ हो गई है। शेयर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ट्रेडजिनी के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) त्रिवेश डी ने कहा कि इक्विटी फोलियो की संख्या में बढ़ोतरी से पता चलता है कि विभिन्न निवेशक खंडों में भागीदारी बढ़ रही है। एम्फी के आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 को समाप्त तिमाही में इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड योजनाओं को 94,151 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ। इन योजनाओं को अप्रैल में 18,917 करोड़ रुपये, मई में 34,697 करोड़ रुपये और जून में 40,537 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ।
इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रति आकर्षण बढ़ा
जून तिमाही में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश पांच गुना बढ़कर 94,151 करोड़ रुपये हो गया। जून 2023 को समाप्त तिमाही में यह 18,358 करोड़ रुपये था। मार्च 2024 की पिछली तिमाही की तुलना में जून तिमाही में निवेश 32 फीसदी अधिक रहा है। मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 71,280 करोड़ रुपये था। आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने कहा कि मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल, बजटीय लक्ष्य से अधिक कर संग्रह, कम राजस्व व्यय और अधिक पूंजीगत व्यय जैसी सरकार की अनुकूल राजकोषीय नीतियों के कारण इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है।