जिन लोगों की आय आयकर के दायरे में आती है, उन्हें 31 जुलाई तक टैक्स चुकाना जरूरी है। अगर आप समय पर टैक्स नहीं भरते हैं, तो आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत आयकर भरना अनिवार्य है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा राज्य भी है, जहां के लोगों पर आयकर भरने की कोई जिम्मेदारी नहीं है। यहां के लोग साल में चाहे एक हजार कमाएं या एक करोड़, उन्हें 1 रुपया भी टैक्स नहीं देना पड़ता। आइए जानते हैं ऐसा क्यों।
देश में एक ही ऐसा राज्य है, जिसे टैक्स फ्री राज्य के तौर पर जाना जाता है। यहां रहने वाले लोगों को अपनी आय पर टैक्स यानी आयकर नहीं देना पड़ता। इस राज्य का नाम है सिक्किम। सिक्किम के लोगों को एक खास कानून के तहत आयकर से छूट दी गई है।
सिक्किम को यह रियायत क्यों दी गई?
अब आप सोच रहे होंगे कि सिक्किम के लोगों को इतनी बड़ी रियायत क्यों दी गई है? तो यह जानने से पहले आपको सिक्किम के इतिहास को समझना होगा। दरअसल, 1975 से पहले सिक्किम एक स्वतंत्र देश था। 1975 में इसका भारत में विलय हो गया था। लेकिन विलय के लिए सिक्किम के राजा ने एक शर्त रखी थी, जिसके तहत राज्य के लिए कुछ विशेष अधिकारों की मांग की गई थी। आयकर अधिनियम के तहत है विशेष अधिकार उस समय भारत सरकार ने सिक्किम की शर्तों को स्वीकार करते हुए राज्य के नागरिकों को आयकर के दायरे से छूट दे दी थी। यहां के मूल निवासियों को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 (26AAA) के तहत आयकर से छूट प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 371-एफ के तहत सिक्किम को विशेष दर्जा प्राप्त है।
आयकर की धारा 10 (26AAA) के तहत यह प्रावधान है कि सिक्किम के किसी भी निवासी की आय कर के दायरे से बाहर रहेगी। चाहे वह किसी भी तरह की सिक्योरिटी से मिलने वाले ब्याज से हो या लाभांश से। इसमें कहा गया है कि सिक्किम के भारत में विलय से पहले सिक्किम में बसने वाले सभी व्यक्ति, चाहे उनका नाम सिक्किम विषय विनियमन, 1961 के रजिस्टर में हो या नहीं, आयकर अधिनियम की धारा 10(26एएए) के तहत छूट के लिए पात्र होंगे।