Friday, November 22, 2024
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लहंगे, गहने, साड़ी, शान-शौकत को भूल जाइए… क्या आपने बच्चों की परवरिश का यह गुण अंबानी परिवार से सीखा है?

इंटरनेट पर अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी के वीडियो और तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई है। जहां देखो, सोशल मीडिया पर इस आलीशान शादी की चर्चा हो रही है। चाहे नीता अंबानी की हीरे-पन्ना जड़ी जूलरी हो या ईशा और श्लोका अंबानी के बेहद खूबसूरत लहंगे, इस शादी में दिखी हर चीज की चर्चा हो रही है। लेकिन इस सारी धूम-धाम के बीच क्या आपने वो सबसे जरूरी पेरेंटिंग ट्रिक सीखी जो अंबानी परिवार ने जाने-अनजाने में सिखाई है। बच्चों की परवरिश कैसे करनी है, बच्चों से क्या कहना है, उनकी जरूरतों का ख्याल कैसे रखना है… ऐसी बातों का ज्ञान आपको इंस्टाग्राम से लेकर पड़ोस की आंटी तक हर जगह से मिल जाएगा। लेकिन अंबानी परिवार की इस शादी से सामने आए कई वीडियो अपने आप में पेरेंटिंग की किसी क्लास से कम नहीं हैं।

नानी की देखभाल में नहीं, दादा की गोद में दिखे बच्चे

आपने अक्सर देखा होगा कि चाहे सेलेब्रिटीज एयरपोर्ट से निकल रहे हों या घर के बाहर, उनके बच्चे अक्सर केयरटेकर या नानी की देखरेख में नजर आते हैं। लेकिन अंबानी परिवार में ऐसा कोई केयरटेकर नहीं दिखा। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी की शादी 12 जुलाई को मुंबई में हुई। जिसमें दुनियाभर की कई बड़ी हस्तियां शामिल हुई हैं। लेकिन इस शादी में मुकेश अंबानी कई बार अपनी बेटी ईशा के बच्चों को गोद में लेकर खेलते नजर आए।

वहीं, उनके साथ उनके बेटे आकाश अंबानी भी टहलते नजर आए। ‘मामेरू’ रस्म के दौरान ईशा अंबानी और उनके पति आनंद पीरामल अपने जुड़वा बच्चों की देखभाल करते और उनके साथ मस्ती करते नजर आए। शादी के हर फंक्शन में अंबानी परिवार के ये बच्चे अपने नाना-नानी, नाना-नानी और परिवार के सदस्यों के बीच गोद में खेलते नजर आए। आकाश, ईशा, श्लोका और अंबानी परिवार पूरी शादी के दौरान अपने बच्चों की खुद ही देखभाल करते नजर आए।

बच्चों को आपकी जरूरत है अक्सर काम पर जाने वाले माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल के लिए नैनी या केयरटेकर रखते हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन दिक्कत तब शुरू होती है जब काम से लौटने के बाद भी हम बच्चों की पूरी देखभाल केयरटेकर पर छोड़ देते हैं। ऑफिस से थके-हारे लौटने वाले पैरेंट्स अक्सर अपने बिजी शेड्यूल का हवाला देकर मोबाइल फोन में व्यस्त हो जाते हैं।

मम्मी-पापा अपने बच्चों की बात ध्यान से सुनते भी नहीं हैं। लेकिन बच्चों की अपनी एक दुनिया होती है, जिसके बारे में वो बहुत सी बातें करना चाहते हैं। लेकिन बार-बार अनदेखा किए जाने पर बच्चे इन बातों को दबाने लगते हैं या बताना बंद कर देते हैं। एक्सपर्ट बच्चों से बात करने के लिए ‘9 मिनट थ्योरी’ बताते हैं। दरअसल, बच्चों से दिन में कम से कम 9 मिनट बात करनी चाहिए। सुबह उठते ही 3 मिनट, स्कूल या डे केयर से लौटने के बाद 3 मिनट और रात को सोने से पहले 3 मिनट बच्चों से जरूर बात करनी चाहिए। ये 9 मिनट आपके बच्चे के मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं।

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