पाकिस्तान में इन दिनों आतंकियों के खिलाफ एक खास अभियान ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम चलाया जा रहा है। इस अभियान की शुरुआत पाकिस्तानी सेना ने की है। लेकिन अभियान के शुरू होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है। पहले पाकिस्तान की जनता ने ही इस अभियान का विरोध किया, अब राज्य सरकारों ने भी सेना के इस कदम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। खास बात यह है कि सेना के इस अभियान के खिलाफ राज्य विधानसभा में प्रस्ताव भी पारित किया गया है। वहीं दूसरी ओर एक अन्य जिहादी संगठन ने इस ऑपरेशन को लेकर पाकिस्तानी सेना के साथ-साथ चीनी ठिकानों पर हमला करने की धमकी दी है।
पाकिस्तानी सेना ने हाल ही में आतंकियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम का ऐलान किया था। इसके बाद से ही कथित आतंकियों और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है। इस अभियान में आतंकियों के नाम पर आम लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है। सेना के इस जुल्म के खिलाफ वहां विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। जनता पर हो रहे जुल्म के खिलाफ राज्य सरकारें भी सेना के खिलाफ खड़ी हो गई हैं।
इस सैन्य अभियान के विरोध में खैबर पख्तूनख्वा राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इस सैन्य अभियान से स्थिरता मिलने का दावा पूरी तरह से अफवाह है। विधानसभा में विधेयक पारित करते हुए खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने कहा कि इस तरह के किसी भी अभियान को अंजाम देने से पहले केंद्र को प्रांतीय सरकार और उसके निर्वाचित सदन को विश्वास में लेना चाहिए था। अन्यथा अपेक्षित परिणाम मिलने के बजाय गंभीर नुकसान हो रहा है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।