ओडिशा की मोहन माझी सरकार द्वारा नयी समिति का गठन इसलिए किया गया है ताकि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में रखी कीमती वस्तुओं की सूची तैयार की जा सके।
ओडिशा में हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जगन्नाथ पुरी मंदिर के रत्न भंडार को लेकर काफी आरोप प्रत्यारोप हुए थे। हालांकि, माना जा रहा है कि रत्न भंडार जल्द ही खुल सकता है। ओडिशा की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को दोबारा खोलने की प्रक्रिया की निगरानी करने के लिए एक नयी उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
क्यों बनाई गई नई समिति?
ओडिशा की मोहन माझी सरकार द्वारा नयी समिति का गठन इसलिए किया गया है ताकि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में रखी कीमती वस्तुओं की सूची तैयार की जा सके। गुरुवार को राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि इस संबंध में समिति का गठन उड़ीसा हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार किया गया है।
पुरानी समिति हुई भंग
इससे पहले इसी साल मार्च महीने में ओडिशा की पूर्ववर्ती नवीन पटनायक की बीजेडी सरकार ने रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की सूची की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि, नई सरकार ने इस समिति को भंग कर के नयी समिति का गठन कर दिया है।
पीएम मोदी ने भी उठाए थे सवाल
ओडिशा की चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जगन्नाथ पुरी मंदिर के रत्न भंडार की गुम हो गई चाबियों का मुद्दा जोर शोर से उठाया था। पीएम मोदी ने नवीन पटनायक सरकार पर इस मामले में न्यायिक रिपोर्ट को भी दबाने का आरोप लगाया था। पीएम मोदी ने कहा था कि ओडिशा में भाजपा की सरकार बनने के बाद न्यायिक रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।