पेरिस ओलंपिक में अरशद नदीम और नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण और रजत पदक जीतकर भारत और पाकिस्तान की सुनहरी यादों को ताज़ा कर दिया है। साठ साल पुरानी यादें। जब पेरिस ओलंपिक में अरशद नदीम और नीरज चोपड़ा की तरह ओलंपिक पोडियम पर भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ियों के हाथों में स्वर्ण और रजत पदक थे। हालांकि, तब और अब के पदक विजेताओं में एक सूक्ष्म अंतर था, जो एक खेल प्रेमी के तौर पर आपको भले ही दुख न दे, लेकिन एक भारतीय के तौर पर यह थोड़ी चुभन जरूर दे सकता है।
तो चलिए खुलकर बात करते हैं। साल था 1964। उस साल टोक्यो में ओलंपिक खेल आयोजित किए गए थे। भारत और पाकिस्तान को आज़ाद हुए अभी दो दशक भी नहीं हुए थे। खेलों की दुनिया में हालात बहुत अच्छे नहीं थे लेकिन हॉकी के फ़ाइनल में ये दोनों देश भिड़ते थे। आज़ादी के बाद 1948 से 1956 तक भारत ने हॉकी में लगातार तीन स्वर्ण पदक जीते। लेकिन 1960 में यह पदक छिन गया। इसे किसी और ने नहीं, बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान ने छीना था, जिसने रोम ओलंपिक में भारत को 1-0 से हराकर ओलंपिक स्वर्ण जीता था। भारत के पास केवल एक ओलंपिक स्वर्ण पदक था, जिसके खोने से पूरे देश में गुस्से और निराशा की लहर दौड़ गई थी। बंटवारे के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि जिस देश ने हमें लाखों गम दिए, उसी ने हमसे सोना छीन लिया।
भारतीय हॉकी टीम ने चार साल तक गम को अपने दिल में दबाए रखा और 1964 के टोक्यो ओलंपिक में इसका बदला लिया। इस बार भारत ने पाकिस्तान को हराकर स्वर्ण पदक जीता। जीत का अंतर भी 1-0 था। 1964 और 2024… वो एक बार था और ये दूसरा बार है। इनके बीच 14 ओलंपिक हुए लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी स्वर्ण और रजत का मुकाबला नहीं हुआ। खेल प्रेमियों के इस इंतजार को दो दोस्तों नीरज चोपड़ा और अरशद नदीम ने पूरा किया।
भारत के नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम पेरिस ओलंपिक में भाला फेंक के फाइनल में पहुंचे थे। टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने स्वर्ण पदक जीता था। जीत के सबसे बड़े दावेदार थे और उन्हें चुनौती देने वालों में पहला नाम अरशद नदीम का था। मुकाबला भी दिलचस्प था। अब नीरज को आसानी से हराना संभव नहीं था। अरशद ने भी अपना पूरा ज़ोर लगा दिया। मानो उन्होंने अपनी पूरी ताकत एक ही थ्रो में लगा दी हो। उन्होंने 92.97 मीटर थ्रो किया। ओलंपिक इतिहास का सबसे लंबा थ्रो। ओलंपिक रिकॉर्ड। अब नीरज को गोल्ड तभी मिलता जब वे यह रिकॉर्ड तोड़ते। लेकिन रिकॉर्ड हर दिन नहीं बनते। नीरज इसे भी नहीं तोड़ पाए। उन्होंने इस सीजन का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और देश को सिल्वर मेडल दिलाया।
1964 के बाद यह पहला मौका था जब भारत और पाकिस्तान किसी खेल के फाइनल में एक साथ आए। 60 साल में पहली बार इन पड़ोसी देशों ने एक ही खेल का गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता। बस एक फर्क था। साठ साल पहले गोल्ड भारतीय खिलाड़ियों के हाथ में था और इस बार पाकिस्तान के अरशद नदीम के हाथ में। उम्मीद है कि लॉस एंजिल्स ओलंपिक में हमें ऐसे और भी भारत-पाक फाइनल देखने को मिलेंगे।