कभी डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मार्केट कैप वाली एडुटेक कंपनी बायजू की कहानी अब खत्म हो गई है। पिछले कुछ सालों से मुश्किलों का सामना कर रही यह स्टार्टअप आखिरकार नीलाम होने की कगार पर है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT ) ने कंपनी के मौजूदा प्रबंधन को भंग कर दिवालियापन समाधान प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया है। कंपनी ने अपने बचाव के लिए आखिरी अपील की है और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ अपने विवाद को कोर्ट से बाहर निपटाने की गुहार लगाई है। कंपनी ने अपने कर्मचारियों के साथ भी बड़ा खेल खेला है। मंगलवार यानी 16 जून को NCLT ने बायजू की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न को बड़ा झटका देते हुए उसके खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने का आदेश जारी किया है। ट्रिब्यूनल ने मौजूदा प्रबंधन को भंग कर दिया है और पंकज श्रीवास्तव को अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। साथ ही कंपनी के कर्जदाताओं को जल्द ही लेनदारों की एक समिति बनाने को कहा है और तब तक इसकी कमान पंकज श्रीवास्तव के हाथों में रहेगी।
कर्ज देने वालों के हाथ होगी कमान
NCLT ने कहा है कि कमेटी बनने तक पंकज कंपनी की कमान संभालेंगे। ट्रिब्यूनल ने बायजू के सभी मामलों को एक साथ रखने और कर्जदाताओं की एक कमेटी बनाने का भी आदेश दिया है। इस आदेश के बाद कंपनी के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू होगी। अब कंपनी की संपत्तियों का मूल्य निर्धारित किया जाएगा और उन्हें बेचकर कर्जदाताओं को पैसे चुकाए जाएंगे।
कंपनी कोई संपत्ति नहीं बेच सकती
एनसीएलटी ने कहा है कि दिवालियेपन की प्रक्रिया पूरी होने तक बायजू अपनी किसी भी संपत्ति का कोई लेन-देन नहीं कर सकती। आईबीसी नियमों के मुताबिक कंपनी के प्रबंधन की कमान भी कर्जदाताओं की कमेटी को सौंपी जाएगी। हालांकि इस बीच बायजू ने बीसीसीआई के साथ अपने विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने की अपील की है। कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि आदेश के बावजूद हम बीसीसीआई के सहयोग से ‘आउट ऑफ कोर्ट’ सेटलमेंट की कोशिश करेंगे।
बीसीसीआई के साथ क्या था विवाद
बीसीसीआई ने 8 सितंबर 2023 को याचिका दायर कर बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू करने की अपील की थी। बीसीसीआई का दावा है कि बायजू ने 158 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। इस राशि में जीएसटी शामिल नहीं है। याचिका को स्वीकार करते हुए एनसीएलटी ने कहा कि कंपनी के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू न करने का कोई आधार नहीं है।
कर्मचारियों का टीडीएस नहीं चुकाया गया
बायजू के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों ने कंपनी पर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कंपनी ने उनका टीडीएस सरकार यानी आयकर विभाग के पास जमा नहीं कराया है। आईटीआर दाखिल करते समय इसका खुलासा हुआ। कर्मचारियों को दी जाने वाली सैलरी स्लिप में टीडीएस कटौती का जिक्र है, लेकिन पिछले साल जुलाई से सरकार के पास टैक्स जमा नहीं कराया गया है।