Thursday, November 21, 2024
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क्या 15 साल की मुस्लिम लड़की को शादी की इजाज़त दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार

राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें 15 वर्षीय मुस्लिम लड़की के विवाह को वैध घोषित किया गया था।

मुस्लिम पर्सनल लॉ के नियम निश्चित रूप से बहुत अलग हैं। इसमें संशोधन को लेकर कई बार विवाद भी खड़ा हुआ है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका आई है जिसमें सवाल उठाया गया है कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत 15 साल की लड़की से शादी की जा सकती है। कई राज्यों के हाईकोर्ट में इस पर अलग-अलग फैसले दिए गए हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से इस पर स्पष्ट और सर्वसम्मत फैसला देने की अपील की गई है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर विचार करेगा।

सीजेआई ने क्या कहा?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर अलग-अलग हाईकोर्ट से अलग-अलग फैसले आ रहे हैं। इससे भ्रम की स्थिति बन रही है। इन फैसलों के खिलाफ अलग-अलग याचिकाएं दायर की जा रही हैं। बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़ी सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करे और इस पर स्पष्टता दे। इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दरअसल एक ही मामले पर अलग-अलग फैसले, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, भ्रम पैदा करते हैं। इस पर स्पष्टता की जरूरत है और हम इस पर जल्द ही विचार करेंगे।

आपको बता दें कि राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने 15 साल की मुस्लिम लड़की की शादी को वैध करार दिया था।

देश में शादी के लिए न्यूनतम आयु 18 साल

भारत में 15 साल की लड़की नाबालिग की श्रेणी में आती है। देश में शादी के लिए लड़की की न्यूनतम आयु 18 साल तय की गई है। ऐसे में 18 साल से कम उम्र में शादी करना आम तौर पर अवैध है। इसके तहत सजा का भी प्रावधान है।

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