अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने अफगान जेल में बंद दो अमेरिकी नागरिकों के बदले अपने दो नागरिकों की रिहाई की शर्त रखी है, जो अफगान सरकार के सामने रखी गई है! अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक आधिकारिक रिपोर्ट में बताया कि उनकी जेल में दो अमेरिकी नागरिक बंद हैं और जिस तरह से अमेरिका अपने नागरिकों की रिहाई और सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है, इस तरह से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार भी अपने नागरिकों की रिहाई और सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती है। की सुरक्षा और रिहाई चाहती है. उन्होंने कहा कि इन दो अमेरिकी नागरिकों के बदले अमेरिकी सरकार से उनके ग्वांतानामो जेल में बंद दो आतंकवादियों की रिहाई की मांग की है।
अफगानिस्तान तालिबान ने जिन दो आतंकियों की रिहाई की मांग की है, उनमें से एक मोहम्मद रहीम आतंकी भी शामिल है। रहीम अफगानिस्तान का नागरिक है और वह कुख्यात आतंकवादी संगठन और अमेरिका के सबसे बड़े दुश्मन माने जाने वाले अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के खास लोगों में से एक है। रहीम अफगानी ओसामा का इतना खास था कि संगठन ने उसे अलकायदा के उस समूह का सदस्य बनाया था, जिसमें मूसा के सामूहिक विनाश के हथियार कार्यक्रम के तहत साजिश रची जाती थी और हथियार एकत्र किए जाते थे। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एंथ्रेक्स को अधिकृत करके उन्हें अपने हथियारों पर प्रयोग करने और जैविक एवं रासायनिक हथियार बनाने की योजनाएं भी शामिल की गईं।
पूरे अफगानिस्तान में अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं…
इस मामले में इस समूह के प्रमुख डॉक्टर अयमान अल जवाहरी भी शामिल थे। रहीम अफगानी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से अमेरिका ने गिरफ्तार कर लिया था और उसके बाद से उसे ग्वांतानामो जेल में बंद कर दिया गया। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा इस मांग के बाद माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठन अलकायदा का नियंत्रण धीरे-धीरे बढ़ रहा है। खुफिया रिपोर्ट में बताया गया है कि अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर अफगानिस्तान के पूर्वी इलाके में चल रहे हैं, जो अफगानिस्तान में मौजूद तालिबान सरकार के एक मंत्री हक्कानी नेटवर्क के नियंत्रण में जाता है।
अलकायदा अपनी शक्तियां बढ़ा रहा है…
माना जा रहा है कि अलकायदा अपनी पूरी तैयारी के साथ एक बार फिर सामने आना चाहता है और इसके लिए धीरे-धीरे वह अपनी शक्ति एकत्रित कर रहा है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार अलकायदा ने इस दौरान कई क्षेत्रीय आतंकवादी संगठनों में भी अपनी घुसपैठ बनाई हुई है और तालिबान सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ कारी फसादुद्दीन फितरत के साथ भी अलकायदा के अच्छे संबंध बताए गए हैं। अब अमेरिका के ऊपर यह बात हावी हो गई है कि वह अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की शर्त को मानता या नहीं है।