बारिश का मौसम सभी मौसमों में सबसे रोमांटिक माना जाता है। साहित्य प्रेमी इस बात से सहमत होंगे कि बारिश के बारे में सबसे ज़्यादा गीत और शायरी लिखी गई हैं। जब भीषण गर्मी होती है, तो बारिश की फुहार भी इतनी राहत देती है, मानो अमृत बरस रहा हो। लेकिन जब यह बारिश बेतहाशा हो जाए तो क्या होता है? ऐसी स्थिति किसी को पसंद नहीं आती। जरा उन लोगों के बारे में सोचिए जो ऐसी जगहों पर रहते हैं जहाँ हर समय बारिश होती रहती है। हमारे देश में भी ऐसी जगहें हैं जहाँ हर समय बारिश होती रहती है। आखिर वो जगह कहाँ है, लोग कैसे रहते हैं, उनकी दिनचर्या क्या है… आइए इस पर एक नज़र डालते हैं
मासिनराम में रिकॉर्ड बारिश
भारत में एक ऐसी जगह है, जिसके नाम हर साल दुनिया में सबसे ज़्यादा बारिश होने का रिकॉर्ड है। इसके साथ ही सबसे पहले जो जगह सबके दिमाग में आई होगी वो है चेरापूंजी। यह सच है कि पहले चेरापूंजी दुनिया में सबसे ज़्यादा बारिश वाली जगह थी। लेकिन अब जो जगह है वो मेघालय का मावसिनराम है। मावसिनराम में चेरापूंजी से 100 मिमी ज़्यादा बारिश होती है। यही वजह है कि इस जगह का नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। यह भी एक संयोग है कि दुनिया में सबसे ज़्यादा बारिश वाली ये दोनों जगहें मेघालय में ही हैं।
जुलाई में बरसता है सबसे ज्यादा पानी
सालों से दो जगहों ने धरती पर सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह होने का दावा किया है. मासिनराम और चेरापूंजी सिर्फ 10 मील की दूरी पर हैं. लेकिन मासिनराम अपने प्रतिद्वंद्वी को महज 4 इंच बारिश से पछाड़ दिया है. मासिनराम में हर साल औसतन 11871 मिलीमीटर बारिश होती है. यहां होने वाली कुल बारिश में से 90 प्रतिशत तो केवल छह महीनों के भीतर ही बरस जाती है. अगर महीने की बात की जाए तो जुलाई में यहां सबसे ज्यादा बारिश होती है. हालांकि मेघालय में पूरे दिन बारिश नहीं होती, लेकिन हर दिन बारिश होती है.
क्यों होती है इतनी बारिश
मासिनराम में ज्यादा बारिश होने की बड़ी वजह उसकी भौगोलिक स्थिति है. यह गांव भारत के उत्तरपूर्वी राज्य मेघालय में राजधानी शिलांग से 60 किमी दूर पूर्वी खासी पहाड़ियों में स्थित है. ये पहाड़ियां दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान बरसाती बादलों को रोकती हैं, जिसके कारण भारी बारिश होती है. बंगाल की खाड़ी से आने वाली गर्म और नम हवाएं ऊपर उठकर ठंडी हो जाती हैं, जिससे बादल बनते हैं और बारिश होती है. बंगाल की खाड़ी नजदीक होने की वजह से यहां काफी नमी है. 1491 मीटर की ऊंचाई वाले खासी पहाड़ियों की बदौलत यह नमी संघनित (condensed) भी हो जाती है.
कैसा रहता है मासिनराम में जीवन
यहां के लोगों का जीवन बारिश के इर्द-गिर्द घूमता है. यहां के बाशिंदों के लिए छातों का इस्तेमाल आम बात है. मासिनराम और चेरापूंजी में लोग बांस से बने छाते इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें कनूप कहते हैं. कनूप को वे हमेशा साथ में रखते हैं ताकि शरीर हमेशा ढका रहे और वो बारिश के दौरान भी लगातार काम करते रहें. लगातार होने वाली बारिश के कारण यहां खेती करना मुश्किल काम है. लेकिन मासिनराम की उपजाऊ जमीन चाय और संतरें जैसी फसलों के लिए बेहद मुफीद है.
ये भी जानिए मासिनराम के बारे में
मासिनराम का नाम मॉ (पत्थर) और सिनराम (धार) से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है ‘पत्थरों की धार’.यहां का मौसम साल भर ठंडा और ह्यूमिड रहता है. मासिनराम दुनिया का सबसे अधिक नम स्थान भी है. बारिश के बावजूद मासिनराम अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता है. घूमने के शौकीन लोगों को मासिनराम की यात्रा का प्लान जरूर बनाना चाहिए. यहां आपको प्रकृति के करीब रहने का अनोखा अनुभव मिलेगा.