Friday, November 22, 2024
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आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव ने कहा, कम आयकर दरें और छूट एक साथ नहीं चल सकतीं

आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बताया कि कुल करदाताओं में से दो तिहाई यानी करीब 68 फीसदी नए कर व्यवस्था के दायरे में आ गए हैं, बाकी पुराने कर व्यवस्था में हैं।

आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि कम आयकर दरें और छूट एक साथ नहीं चल सकतीं। जो लोग कम टैक्स दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था सही है, जबकि पुरानी व्यवस्था में छूट अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में अच्छे वेतन वाली नौकरियां बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। भाषा की खबर के मुताबिक सरकार का मकसद युवाओं को उनकी प्रतिभा के मुताबिक प्रशिक्षण देकर बाजार के हिसाब से रोजगार के लिए तैयार करना है।

कर्मचारियों को टैक्स में 17,500 रुपये तक की बचत होगी

खबरों के मुताबिक इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में नई टैक्स व्यवस्था में मानक कटौती को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने और टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव रखा। बजट में किए गए बदलावों से नई टैक्स व्यवस्था अपनाने वाले कर्मचारियों को टैक्स में 17,500 रुपये तक की बचत हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुल करदाताओं में से दो तिहाई यानी करीब 68 फीसदी नई टैक्स व्यवस्था में आ गए हैं, बाकी पुरानी टैक्स व्यवस्था में हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पुरानी कर व्यवस्था को छोड़ने की योजना है, सेठ ने कहा कि हम किसी को नहीं छोड़ रहे हैं। करदाता अपने अनुकूल व्यवस्था अपना सकते हैं।

युवाओं के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान युवाओं के लिए

बजट में किए गए उपायों के बारे में सचिव ने कहा कि यह बजट रोजगार बढ़ाने वाला है। हमारा प्रयास है कि युवाओं को प्रशिक्षण मिले। उन्हें बाजार की जरूरत के हिसाब से तैयार किया जाए और उन्हें अच्छे वेतन वाली नौकरी मिले। यह पूछे जाने पर कि क्या शिक्षा व्यवस्था में सुधार किए बिना अच्छी नौकरियां पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि ये उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि एक स्तर पर पहुंच चुके हर युवा को उसकी प्रतिभा के अनुसार प्रशिक्षित किया जाए और रोजगार के लिए तैयार किया जाए। बजट में 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल विकास और अन्य अवसर प्रदान करने की योजनाओं और उपायों के लिए पांच साल की अवधि में 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। टैक्स के मामले में सभी एसेट क्लास के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए सेठ ने कहा कि लंबे समय से यह सोचा जा रहा है कि टैक्स व्यवस्था को सरल बनाया जाना चाहिए। निवेश के कई प्रकार हैं। कुछ लोग सोने में निवेश करते हैं, तो कुछ इक्विटी शेयरों में। उन्होंने कहा कि इक्विटी पर अलग टैक्स, लिस्टेड एसेट्स पर अलग टैक्स और अनलिस्टेड एसेट्स पर अलग टैक्स लगाना सही नहीं है।

टैक्स को लेकर सभी एसेट क्लास के लिए एक जैसा व्यवहार होना चाहिए।

बजट में इसे सही किया गया है। इंडेक्सेशन को भी हटा दिया गया है। इससे पारदर्शिता भी आती है। बजट में प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक लिस्टेड शेयरों, इक्विटी लिंक्ड म्यूचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट की यूनिट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। सिक्योरिटीज पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी करने का प्रस्ताव किया गया है।

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