भगवान जगन्नाथ की यात्रा 53 साल बाद दो दिनों की हो रही है। स्नान पूर्णिमा पर ठीक हुए भगवान ठीक हो चुके हैं। जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने रथ में विराजमान हो चुके हैं।
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उत्सव शुरू हो चुका है। 53 साल बाद यह यात्रा दो दिनों की हो रही है। मान्यता के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर स्नान के बाद भगवान बीमार हो जाते हैं। इस साल भी स्नान पूर्णिमा के बाद भगवान ठीक हो चुके हैं। रथयात्रा शुरू होने से पहले होने वाली रस्में रविवार को ही हो रही हैं। जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा दोपहर 2.30 बजे अपने-अपने रथ में विराजमान हुए। जगन्नाथ मंदिर के पंचांगकर्ता डॉ. ज्योति प्रसाद ने बताया कि भगवान को आम दिनों से 2 घंटे पहले जगाया गया और मंगला आरती सुबह 4 की बजाय तड़के 2 बजे हुई। मंगला आरती के बाद करीब 2.30 बजे दशावतार पूजन हुआ। 3 बजे नैत्रोत्सव और 4 बजे पुरी के राजा की तरफ से पूजा की गई। सुबह 5.10 बजे सूर्य पूजा और करीब 5.30 बजे द्वारपाल पूजा हुई। सुबह 7 बजे भगवान को खिचड़ी भोग-प्रसाद लगाया गया।
महाराजा दिव्यसिंह देब ने साफ किए रथ
ओडिशा में रथ यात्रा के रिवाज के अनुसार पुरी महाराजा रथों की सफाई करते हैं। पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों की सफाई की। इससे बाद भक्त इन रथों को खींचते हैं और रथ यात्रा शुरू होती है।
शाम करीब पांच बजे रथयात्रा शुरू होने की उम्मीद
पुरी में भगवान के ठीक होने के बाद रथ यात्रा से पहले होने वाली सभी रस्में हो रही हैं। जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने-अपने रथ में विराजमान हो चुके हैं। शाम 5 बजे यात्रा शुरू होने की उम्मीद है।