भारत आज शुक्रवार 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मना रहा है। पूरा देश भारत के वीर शहीद जवानों को याद कर रहा है। आइए जानते हैं कारगिल युद्ध से जुड़ी एक अनोखी कहानी।
भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तान की घुसपैठ और हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए देश के सैकड़ों जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। क्या आप जानते हैं कि भारतीय सेना ने 4 जुलाई को ही कारगिल युद्ध की सबसे महत्वपूर्ण चोटी टाइगर हिल पर कब्जा किया था। लेकिन इसके बावजूद 26 जुलाई को ही कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है? आइए इस सवाल का जवाब अपनी खबर में जानते हैं।
26 तारीख को ही क्यों मनाया जाता है कारगिल दिवस?
ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) खुशाल ठाकुर कारगिल युद्ध का हिस्सा थे। युद्ध के समय वे 18 ग्रेनेडियर्स में कर्नल थे। आपको बता दें कि 18 ग्रेनेडियर्स ने कारगिल की महत्वपूर्ण चोटी टाइगर हिल पर कब्जा किया था। खुशाल ठाकुर ने कहा कि टाइगर हिल पर जीत के बाद नवाज शरीफ डरकर अमेरिका चले गए और सीजफायर की बात करने लगे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा, “जब तक हम इन पाकिस्तानियों को हर सीमा चौकी से बाहर नहीं निकालेंगे, तब तक कोई रोक नहीं है” और फिर 26 जुलाई को सभी घुसपैठियों को बाहर निकाल दिया गया। यही कारण है कि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
कर्नल (अब ब्रिगेडियर होकर रिटायर हो चुके हैं )कुशाल ठाकुर से सुनिए कि कैसे टाइगर हिल की विजय के बाद नवाज़ शरीफ़ डर के अमेरिका गए और सीज़फायर करने की बात कहने लगे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी ने कह दिया “ जब तक एक एक सीमा चौकी से इन पाकिस्तानियों को हम खदेड़ नहीं देते तब तक… pic.twitter.com/2In8VtDTA0
— Manish Prasad (@manishindiatv) July 6, 2024
नरेंद्र मोदी ने युद्ध के बीच पहुंचे थे कारगिल
पीएम मोदी ने खुशाल ठाकुर ने इसके साथ ही एक और दिलचस्प जानकारी सामने रखी है। उन्होंने बताया कि वर्तमान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय न मुख्यमंत्री थे और न ही किसी अन्य महत्वपूर्ण पद पर। वो साधारण तरीके से इतनी फ़ायरिंग के बीच जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए कारगिल आए थे और हॉस्पिटल में जाकर भी उन्होंने जवानों से मुलाकात की थी।