Friday, November 22, 2024
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रक्षा निर्यात में भारत का दबदबा, दुनिया के 85 देशों को बेचे गए इतने हजार करोड़ रुपये के हथियार

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले 10 वर्षों में “मेक इन इंडिया” जैसी कई नीतिगत पहल की हैं और कई आर्थिक सुधार लागू किए हैं।

रक्षा निर्यात में भारत का दबदबा अब दुनिया में गूंज रहा है। आपको बता दें कि भारत ने पिछले 10 सालों में रक्षा निर्यात में 30 गुना की छलांग लगाई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में महज 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये हो गया है। यह दुनिया में भारतीय रक्षा उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की स्वीकार्यता को दर्शाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 85 से अधिक देशों को निर्यात के साथ, भारत के रक्षा उद्योग ने दुनिया को डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दिखाई है। वर्तमान में देश की करीब 100 कंपनियां रक्षा उत्पादों का निर्यात कर रही हैं।

मेक इन इंडिया से बढ़ावा

रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले 10 वर्षों में “मेक इन इंडिया” जैसी कई नीतिगत पहल की हैं और कई आर्थिक सुधार किए हैं। उन्होंने कहा कि निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और एंड-टू-एंड ऑनलाइन निर्यात प्राधिकरण के साथ उद्योग के अनुकूल बनाया गया है। जिससे व्यापार करना आसान हो गया है। इसके अलावा, आत्मनिर्भर भारत पहल ने देश में रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण को प्रोत्साहित करके देश की मदद की है। जिससे लंबे समय में आयात पर निर्भरता कम हुई है।

इन कंपनियों ने बाजी मारी

रक्षा उपकरणों के आपूर्तिकर्ता के रूप में निजी क्षेत्र का उभरना एक महत्वपूर्ण विकास रहा है, जिसमें लार्सन एंड टुब्रो, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारत फोर्ज जैसी कंपनियां प्रमुख रक्षा उपकरण निर्माण कंपनियों के रूप में उभरी हैं। 2023-24 में उत्पादन के कुल मूल्य का लगभग 79.2% डीपीएसयू/अन्य पीएसयू द्वारा और 20.8% निजी क्षेत्र द्वारा योगदान दिया गया है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि डीपीएसयू/पीएसयू और निजी क्षेत्र दोनों ने रक्षा उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की है।

दुनिया में इन हथियारों की बिक्री

भारत के रक्षा उत्पादों के निर्यात में मिसाइल, रडार, नौसेना प्रणाली, हेलीकॉप्टर और निगरानी उपकरण शामिल हैं। भारत ने उन्नत नौसेना प्रणालियों के स्वदेशी उत्पादन में पर्याप्त प्रगति की है, जो निर्यात बाजार को भी पूरा करती है। INS विक्रांत विमानवाहक पोत जैसे उन्नत प्लेटफॉर्म इस क्षेत्र में हमारी उपलब्धि को उजागर कर रहे हैं।

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