Friday, November 22, 2024
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बांकली बालाजी का दरबार: यहां धागा बीमारी और बुरी नजर से बचाता है, पहली बार में ही स्वीकार हो जाती है भक्त की फरियाद!

राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी और बागेश्वर धाम के बालाजी बहुत प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों के बारे में सभी जानते हैं। राजस्थान के दौसा में भी एक बालाजी धाम है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। लेकिन यहां मेला मंगलवार की बजाय शनिवार-रविवार को लगता है। इस मंदिर में भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं और इस स्थान का धागा अपने शरीर पर बांधते हैं। यह सिकराय उपखंड क्षेत्र स्थित गीजगढ़ के बांकली वाले बालाजी महाराज का मंदिर है। यहां कभी जंगल और मिट्टी के टीलों पर एक चबूतरा बना हुआ था। मंदिर के पुजारी पवन ने बताया कि पहले यहां कोई मंदिर नहीं था। जंगल में मिट्टी के टीलों पर एक चबूतरा बना हुआ था। कभी-कभार ही कोई श्रद्धालु यहां आता था। पवन बताते हैं कि शुरू से ही मेरे दादा श्री कृष्णदास यहां नियमित पूजा-अर्चना करते थे। उनके साथ हमारी दादी भी सुबह-शाम पूजा-अर्चना करने यहां आती थीं। धीरे-धीरे हुई प्रसिद्धि पुजारी पवन बताते हैं कि गीजगढ़ वाले बालाजी महाराज धीरे-धीरे प्रसिद्ध होते गए। इसी तरह मंदिर का भी विकास हुआ। चबूतरे के बाद यहां टीन शेड लगाया गया। मंदिर का विकास भी होता रहा। अब यहां बालाजी महाराज का विशाल मंदिर बना है और दर्जनों धर्मशालाएं भी बन गई हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और बालाजी महाराज की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

भक्त अपनी मनौती मांगते हैं
भक्त शिवकांत चतुर्वेदी ने बताया कि नवरात्रि के दौरान बालाजी महाराज का विशेष मेला लगता है। मेले में शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और बालाजी महाराज के दरबार में अपनी मनौती मांगते हैं। मनौती मांगने के बाद उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए दशहरा मेले के दौरान जगह-जगह पानी, नाश्ते व अन्य चीजों के स्टॉल लगाए जाते हैं। दशहरा पर यहां पुरुष, महिलाएं व बच्चे भी कनक दंडवत देने आते हैं। इन लोगों के लिए यहां विशेष सेवा की जाती है। श्रद्धालुओं में इतनी गहरी आस्था है कि उनका कहना है कि इस मंदिर में मांगी गई मनौती पहली या दूसरी बार में ही बालाजी स्वीकार कर लेते हैं।

बाबा का धागा बुरी नजर व बीमारी से बचाता है
मंदिर के पुजारी पवन बताते हैं कि बांकली के बालाजी महाराज के दर्शन करने वाले श्रद्धालु अपनी मनौती के अनुसार धागा बनवाते हैं। फिर उसे अपने शरीर पर बांधते हैं। भक्तों का मानना ​​है कि इससे किसी भी तरह की बीमारी और बुरी नजर नहीं लगती। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। मंगलवार और शनिवार को यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और इस दौरान धागे भी अधिक बनाए जाते हैं।

दशहरे पर मेला और भंडारा
बालाजी महाराज के दशहरा मेले में सिकराय सिकंदरा बालाजी समेत कई जगहों से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के दौरान भागवत कथा का भी आयोजन किया जाता है।

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