Sunday, February 16, 2025
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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर, आईएमएफ ने 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7% किया

India’s GDP growth forecast: विश्व बैंक का कहना है कि भारत अगले साल यानी 2025 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

भारत जीडीपी अनुमान 2025: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ा दिया है। IMF का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था अगले साल यानी 2025 में 7% की दर से बढ़ सकती है। इससे पहले अप्रैल में IMF ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान लगाया था।

भारत की वृद्धि दर 2026 के लिए 6.5% रहने का अनुमान

IMF के अनुसार, भारत में लोगों की आय बढ़ने से, खासकर गांवों में, क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। हालांकि, IMF ने अगले साल यानी 2026 के बाद भारत की वृद्धि दर 6.5% पर ही रहने का अनुमान लगाया है।

वैश्विक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 3.2% पर बरकरार

वैश्विक स्तर की बात करें तो IMF ने वर्ष 2024 के लिए वैश्विक जीडीपी वृद्धि के अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 3.2% पर ही बनाए रखा है। वहीं, आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक अमेरिका और जापान की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ सकती है, जबकि यूरोप, चीन और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था अच्छी बनी रहेगी।

भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा

विश्व बैंक के मुताबिक, एशियाई देशों, खासकर भारत और चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार पहले से थोड़ी धीमी हो सकती है। विश्व बैंक का कहना है कि अगले साल यानी 2025 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.6% की दर से बढ़ेगी। इसके बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

ऊर्जा, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों पर आईएमएफ की नजर

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि वर्ष 2024 में ऊर्जा की कीमतों में करीब 4.6% की गिरावट आ सकती है। हालांकि, मध्य पूर्व में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण है और तेल उत्पादक देशों (ओपेक+) के उत्पादन में कटौती के फैसले से कीमतों पर दबाव बना रहेगा।

आईएमएफ का मानना ​​है कि बड़े देशों के केंद्रीय बैंक साल की दूसरी छमाही में ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। लेकिन चूंकि अलग-अलग देशों में मुद्रास्फीति की स्थिति अलग-अलग होती है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती की गति भी अलग-अलग होगी।

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