Thursday, November 21, 2024
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5 मंगल हाजरी से खुलते हैं इमला हनुमानजी के चमत्कार के दरवाजे! 110 सालों से बना है आस्था का केंद्र

मध्य प्रदेश के आंचलिक क्षेत्र में स्थित प्राचीन पुरातात्विक स्थल आज भी सालो पुराने सिद्धांत जीवित हैं। दमोह जिले के छतरपुर मार्ग पर बाकायन गांव में हनुमान लला का यह मंदिर काफी साल पुराना बताया जाता है। जहां आज भी 110 प्राचीन से पुरानी कहावतें चली आ रही हैं। इस मंदिर की विशेषता है हनुमानजी के दरबार में 5 मंगलवार/शनिवार को श्रीफल निश्चिंतता करने से हनुमान जी का हर मन पूर्ण हो जाता है।

5 मंगलवार हाजरी से मन होता है पूर्ण विवरण, जिला मुख्यालय से 27 किमी दूर बकायन गांव में इमला वाले हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। जहां 5 मंगलवार हनुमान लला के दरबार में हाजरी से हर मन का भाव पूर्ण होता है। मोत पूर्ण हो जाने के बाद भक्त बा कायदा यहां की पारंपरिक वास्तुशिल्प कपूर महाआरती करते हैं। जोक 110 सार्जेंट से चली आ रही है। महाआरती की झलक यह सिर्फ मंगलवार और शनिवार को ही होती है। जिसे करने के लिए कई किल कपूर का इस्तेमाल किया जाता है। जो देखना अनोखा होता है. इस साल की आखिरी देवशयनी एकादशी पर मंदिर के महंत जी द्वारा इस कपूर आरती को बंद करवाया गया था। देव उठनी एकादशी आयेगी तब इस महाआरती का क्रम फिर से शुरू होगा।

हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं ये दिव्य धाम, हिंदू धर्म में देवी देवताओं के मंदिर, लोगों की आस्था के प्रमुख केंद्र माने जाते हैं। जहां हजारों की तादात में लोग एकत्रित होकर ईश्वर की भक्ति में लीन होकर पूजा-अर्चना करते हैं। इमला वाले हनुमान जी के दरबार में पूरे साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। सप्ताह के दूसरे और छठे दिन यानी मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी महाराज को झंडा व चोला चढ़ाने की परंपरा आज भी जीवित है। इस जगह की ऐसी ही एक विशेषता है कि पांच मंगलवार यहां हाजरी से सभी के मन पूरी तरह से होते हैं। ये पारंपरिक देवता कई दशकों से चले आ रहे हैं। यहां विराजी हनुमान जी की प्रतिमा इमली के पेड़ के नीचे मिली थी, इसलिए इमली वाले हनुमान जी के नाम से पूरे क्षेत्र में जाना जाता है।

जानिए क्या है 15वीं कहानी में बताया गया है कि यह मूर्ति 250 साल पुरानी है। जिस स्थान पर हनुमान जी वन्यजीव हैं, वहां सबसे पहले श्मशानघाट हुआ था। जहां बड़ी संख्या में खजूर और इमली के पेड़ लगे थे. बहुत वर्ष पहले एक संत महाजन दास आये थे। रात में उन्होंने यहीं विश्राम किया। तब उन्हें एक सपना आया कि यहां एक हनुमान जी के आदर्श हैं। सुबह होते ही संत ने यह बात बताई इमली के पेड़ के नीचे इमली के पेड़ के नीचे हनुमान जी की प्रतिमा से विसर्जन करने की बात। इसी से इस स्थान को इमला वाले हनुमान मंदिर का नाम पोस्ट किया गया।

इस स्थान के बारे में एक पौराणिक कथा यह भी है कि यहां के माफिया के पुत्र के जन्म से ही उल्टे पैर थे, तब उन्होंने हनुमान जी से विनती की थी, हे प्रभु मेरे पुत्र के जन्म सीधे हो गए थे। जिसके बाद जैसे ही माफ़ीदार घर पहुंचा उसके बेटे के पैर सीधे मिले। तभी से यह चमत्कारी स्थान का नाम से प्रसिद्ध हो गया। इसके बाद यहां हुआ सुंदर कांड, भजन, कीर्तन। कपूर की आरती भी उसी समय से शुरू हुई थी। जो आज भी जारी है. इस स्थान पर अभी तक रिकॉर्ड है कि एक दिन में 2.5 भव्य कपूर से हनुमान जी की महाआरती निकाली गई है। देव उदयनी एकादशी से देवशयनी एकादशी तक जो प्रथम और अंतिम मंगलवार है, उस दिन यहां मंत्र की आरती होती है।

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