Friday, October 18, 2024
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मुंबई के कॉलेजों में हिजाब और बुर्के पर बैन के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, छात्रों ने दायर की है याचिका

देश की शीर्ष अदालत आज मुंबई के कॉलेज परिसरों में हिजाब और बुर्का पर प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगी। इस प्रतिबंध के खिलाफ छात्रों ने याचिका दायर की थी।

मुंबई: मुंबई के एक कॉलेज में बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ छात्रों द्वारा दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने 26 जून को ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज के हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं। हाईकोर्ट ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो एक शैक्षणिक संस्थान को “स्थापित करने और संचालित करने” के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

इस फैसले के खिलाफ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें दलील दी गई थी कि ड्रेस कोड और कैंपस में हिजाब, नकाब, बुर्का और अन्य धार्मिक परिधान पहनने पर प्रतिबंध उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने दलील दी कि कॉलेज का आदेश उनके ड्रेस चुनने के अधिकार, अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत उनकी निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

छात्रों ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने छात्रों के वकील की इस दलील पर गौर किया कि परीक्षा शुरू हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ के निर्देशों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जैनब अब्दुल कय्यूम सहित याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ शुरू हो रहे हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, “इस पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। मैंने इसे पहले ही सूचीबद्ध कर दिया है।”

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई प्रभाव नहीं – बॉम्बे हाई कोर्ट

26 जून को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस ए.एस. चंदुरकर और राजेश एस. पाटिल की पीठ ने छात्रों की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि ड्रेस कोड कॉलेज परिसर तक ही सीमित है और इससे याचिकाकर्ताओं की पसंद और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होती है।

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